NDAA कानून बना: अमेरिका भारत के साथ इंडो-पैसिफिक में साझेदारियां और गहरी करेगा, क्वाड के जरिए भी

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न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन{ गहरी खोज }: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वार्षिक रक्षा नीति विधेयक पर हस्ताक्षर कर उसे कानून बना दिया है, जिसमें भारत के साथ अमेरिका की भागीदारी को व्यापक बनाने पर जोर दिया गया है। इसमें क्वाड के माध्यम से स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साझा उद्देश्य को आगे बढ़ाने और चीन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने की बात कही गई है।
वित्त वर्ष 2026 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट—NDAA), जिस पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए गए, युद्ध विभाग (DoW), ऊर्जा विभाग के राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों, विदेश विभाग, गृह सुरक्षा विभाग, खुफिया समुदाय और अन्य कार्यकारी विभागों एवं एजेंसियों के लिए बजटीय प्रावधानों को अधिकृत करता है। ट्रंप ने एक बयान में कहा कि यह अधिनियम उनकी ‘शक्ति के जरिए शांति’ की नीति को लागू करने, देश को घरेलू और विदेशी खतरों से सुरक्षित रखने और रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने में सक्षम बनाएगा, साथ ही ऐसे अपव्ययी और कट्टर कार्यक्रमों के लिए फंडिंग समाप्त करेगा जो सशस्त्र बलों के युद्धक मूल्यों को कमजोर करते हैं।
इस कानून में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रक्षा गठबंधनों और साझेदारियों पर कांग्रेस की भावना का उल्लेख किया गया है। इसके तहत रक्षा सचिव को चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में अमेरिका की तुलनात्मक बढ़त को और मजबूत करने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी रक्षा गठबंधनों और साझेदारियों को सुदृढ़ करने के प्रयास जारी रखने चाहिए।
इन प्रयासों में भारत के साथ अमेरिकी सहभागिता को बढ़ाना भी शामिल है, जिसमें क्वाड यानी चतुर्भुज सुरक्षा संवाद के माध्यम से स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साझा लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संवाद, सैन्य अभ्यासों में भागीदारी, रक्षा व्यापार का विस्तार तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत में सहयोग शामिल है। इसके साथ ही समुद्री सुरक्षा में अधिक सहयोग को सक्षम बनाने की बात भी कही गई है। क्वाड—जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं—की स्थापना 2017 में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के उद्देश्य से की गई थी।
कानून के अनुसार, रक्षा सचिव विदेश मंत्री के साथ समन्वय में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका तथा उसके सहयोगी और साझेदार देशों के रक्षा औद्योगिक आधारों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए एक सुरक्षा पहल स्थापित और बनाए रखेंगे। इससे सामूहिक रक्षा औद्योगिक आधार को क्षमता, उत्पादन क्षमता और कार्यबल के विस्तार के जरिए मजबूत किया जाएगा, जिसमें आपूर्ति शृंखला की सुरक्षा, अंतर-संचालन क्षमता और भागीदार देशों के बीच लचीलापन बढ़ाना शामिल है। इसके तहत यह तय करने की प्रक्रिया भी बनाई जाएगी कि किन सहयोगी और साझेदार देशों—जैसे ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, फिलीपींस और न्यूज़ीलैंड—को इस सुरक्षा पहल में सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाएगा।
‘संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच परमाणु दायित्व नियमों पर संयुक्त आकलन’ शीर्षक वाले एक अन्य प्रावधान में कहा गया है कि विदेश मंत्री अमेरिका-भारत रणनीतिक सुरक्षा संवाद के अंतर्गत भारत सरकार के साथ एक संयुक्त परामर्श तंत्र स्थापित और बनाए रखेंगे। यह तंत्र नियमित रूप से बैठक कर 2008 में वॉशिंगटन में हस्ताक्षरित शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा उपयोग से संबंधित अमेरिका-भारत सहयोग समझौते के क्रियान्वयन का आकलन करेगा।
इस तंत्र का फोकस भारत के लिए घरेलू परमाणु दायित्व नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के अवसरों पर चर्चा करना और उन अवसरों के विश्लेषण व कार्यान्वयन से जुड़े द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कूटनीतिक प्रयासों के लिए अमेरिका और भारत की संयुक्त रणनीति विकसित करना होगा। कानून के लागू होने के 180 दिनों के भीतर और उसके बाद पांच वर्षों तक हर वर्ष इस संयुक्त आकलन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आह्वान किया गया है।
एक अन्य प्रावधान में कहा गया है कि “सहयोगी या साझेदार राष्ट्र” से आशय आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के किसी भी सदस्य देश की सरकार, “भारत गणराज्य की सरकार”, तथा ऐसे किसी भी देश की सरकार से है जिसे इस धारा के उद्देश्य से विदेश मंत्री द्वारा सहयोगी या साझेदार राष्ट्र के रूप में नामित किया जाए।

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