सुशासन बाबू महिलाओं का बहुत सम्मान करते हैं
सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: राजनीति में आरोप लगाने का मौका विरोधियों को मिलता है तो वह मौके लपकने में देर नहीं करते हैं।. तुरंत लपक लेते हैं क्योंकि वह समझते हैं कि ऐसा मौका फिर कहां मिलने वाला है। मिला है तो इसका फायदा उठाना चाहिए भले ही उनका लगाया गए आरोप पर कम ही लोग भरोसा करे, ज्यादातर लोग भरोसा न करें।बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने हाल के विधानसभा चुनाव में महिलाओं को दस दस हजार रुपए फिर एक महिलाओं का सम्मान किया और बदले में महिलाओं ने फिर एक बार सुशासन बाबू नीतीश कुमार की झोली वोटों से भर दी और विरोधियो को ऐसा झटका दिया कि इसकी पीड़ा जिंदगी भर रहेगी।२५ के बिहार विधानसभा चुनाव को लालू परिवार व कांग्रेस व भाजपा विरोधियों की सबसे शर्मनाक हार के लिए हमेशा याद किया जाएगा। भाजपा विरोधियों व नीतीश विरोधियों को यह हार हमेशी याद दिलाएगी की कि बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे कैसे बुरी तरह महिलाओं ने हराया था।
सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं के लिए पिछले दो दशक से बहुत कुछ किया है, वह महिलाओं का सम्मान करते हैं,इसलिए महिलाएं उनका सम्मान करती हैं, उनको अपना अभिभावक मानती हैं, घर का मुखिया मानती हैं, नीतीश कुमार भी राज्य की महिलाओं का घर की महिलाओं की तरह सम्मान करते हैं, वह चाहते हैं कि महिलाएं खूब तरक्की करें। बालिकाएं खूब पढ़े,आगे बढ़े इसके लिए नीतीश कुमार ने स्कूल जाने वाली बालिकाओं को साइकिल दी।इसके बाद महिलाओं ने मांग की राज्य में शराबबंदी होनी चाहिए तो नीतीश कुमार ने राज्य को आर्थिक रूप से नुकसान होने पर भी शराबबंदी की। इसके लिए नीतीश कुमार की खूब आलोचना हुए लेकिन नीतीश कुमार ने महिलाओं के सम्मान के लिए शराबबंदी के लिए एक बार कदम उठाने के बार कदम पीछे नहीं हटाया।
इससे बाद महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए नीतीश कुमार ने महिलाओं को रोजगार के लिए दस दस हजार रुपए देने की योजना बनाई और रुपए उनके खाते में दिए भी। वह दस हजार रुपए का उपयोग कर अच्छा काम करती हैं तो नीतीश सरकार उनको और ज्यादा पैसा देेगी। महिलाओं के लिए बरसों से इतना काम करने वाला आदमी क्या किसी महिला का अपमान करने की सोच सकता है, कोई ऐसी हरकत कर सकता है जिससे महिला अपमानित महसूस करे। एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार आयुष के डाक्टरों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे, कई महिलाओं को उन्होंने नियुक्ति पत्र दिया। किसी महिला का कोई अपमान नहीं किया।क्योंकि नीतीश कुमार खुश थे की राज्य की महिलाओं को वह नियुक्ति पत्र दे रहे हैं और महिलाएं भी खुश थी सीएम नीतीश कुमार के हाथों नियुक्ति पत्र पाकर।
सरकार कार्यक्रम में मौजूद सभी महिलाओं के चेहरे सबको दिख रहे थे, ऐसे में एक मु्स्लिम महिला चेहरा आधे ढके आई और नीतीश कुमार ने उनके आधे ढंके चेहरे को देखकर इशारा किया कि संभवतः वह यह कह रहे थे कि इसकी क्या जरूरत है। जब सरकारी कार्यक्रम में सबसे चेेहरे दिख रहे हैं एक चेहरा क्यों आधा ढका हुआ है। यहां महिला का अपमान करने का कोई भाव नहीं था क्योंकि नीतीश कुमार ने जीवन में कभी किसी महिला का अपमान नहीं किया है। जिस आदमी ने महिलाओं का सम्मान ही किया है, वह अपमान कर ही नहीं सकता। उसने जो किया विरोधी लोगों को, सियासत करने वालों को गलत दिख सकता है क्योंकि वह गलत देखने का प्रयास करे हैं, नीतीश कुमार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी महिला सम्मान करने वाले नेता की छबि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
नीतीश कुमार ने महज अलग दिख रही महिला के चेहरे से कपड़ा हटाकर उनको भी अऩ्य महिलाओं के समान देखने का प्रयास किया। जैसे उनको दूसरी महिलाओं को सहज देखा वैसे ही वह मुस्लिम महिला का सहज देखना चाहते थे। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि उस महिला ने नीतीश कुमार को चेहरे का कपड़ा हटाने के लिए बुरा कुछ नहीं कहा।उसने साफ कहा है कि इसके लिए सीएम दोषी नहीं है। वह सबसे ज्यादा असहज इस बात से हुई कि नीतीश कुमार ने चेहरे से कपड़ा हटाया तो वहां मौजूद लोग जोर से हंस पड़े। ऐसी स्थिति में कोई भी संस्कारी महिला असहज हो सकती है। महिला ने मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ कोई कडी बात तक नहीं कही है लेकिन मोदी व नीतीश विरोधियों को मौका मिल गया है और नीतीश कुमार के एफआईआर दर्ज करा रहे है कि उन्होंने महिला का अपमान किया है। नीतीश कुमार की इस घटना पर इसलिए भी आलोचना हो रही है कि वह मोदी के साथ हैं और उनका साथ नहीं छोड़ने की बात बार बार कह रहे हैं। नीतीश कुमार अभी पलटी मार देंगे सारे विरोधी नीतीश कुमार की तारीफ करने लगेंगे।
