भारत अपने गगनयान मिशन को हासिल करने के बहुत करीब
विज्ञान { गहरी खोज }:भारत अपने गगनयान मिशन को हासिल करने के बहुत करीब है। यह भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का सपना है। पहला बिना क्रू वाला गगनयान मिशन पूरा होने वाला है। इसके सभी कंपोनेंट्स का इंटीग्रेशन आखिरी स्टेज में है। ISRO ने रॉकेट और उसके सभी ज़रूरी हिस्सों का टेस्ट किया है। यह टेस्ट यह पक्का करने के लिए किया गया था कि रॉकेट पूरी तरह से सुरक्षित है। इस मकसद के लिए HLVM3 नाम का एक शक्तिशाली रॉकेट बनाया गया है, और इसने ऊंचे सुरक्षा मानकों को पूरा किया है।रॉकेट के इंजन का भी ज़मीन पर कई बार टेस्ट किया गया है और यह सही ढंग से काम करता हुआ पाया गया है। अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए सिस्टम ने भी शानदार नतीजे दिए हैं। मुख्य बातों में शामिल हैं: अंतरिक्ष यात्री सुरक्षा सिस्टम का पूरा होना, और पृथ्वी पर लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए बनाए गए खास पैराशूट का सफल टेस्ट। अगर रॉकेट खराब हो जाए तो क्या होगा? अगर रॉकेट खराब हो जाता है, तो अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने के लिए क्रू एस्केप सिस्टम नाम का एक खास सिस्टम बनाया गया है। इस सिस्टम का कई बार टेस्ट किया गया है और यह मुश्किल हालात में अंतरिक्ष यात्रियों को रॉकेट से सुरक्षित रूप से दूर ले जाने में पूरी तरह सक्षम पाया गया है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इमरजेंसी एस्केप सिस्टम का सफल टेस्ट किया गया है।अंतरिक्ष यात्री सुरक्षा के लिए पूरी तैयारी वैज्ञानिकों ने रॉकेट के इंजन का कई बार टेस्ट किया है, और यह पूरी तरह से काम कर रहा है। अगर उड़ान के दौरान रॉकेट खराब हो जाता है, तो अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाने के लिए एक एस्केप सिस्टम बनाया गया है। यह सिस्टम इमरजेंसी में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से तेज़ी से दूर खींच लेगा। इसके अलावा, ISRO भारत में स्पेसक्राफ्ट के अंदर रहने लायक माहौल बनाए रखने के लिए टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है।यह अपनी पहली उड़ान कब भरेगा? भारत की योजना 2027-28 तक पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि अब वह 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ अभी भी हैं, जैसे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम में और सुधार करना। लेकिन ISRO की ये नई तैयारियाँ दिखाती हैं कि भारत अब अंतरिक्ष खोज के क्षेत्र में दूसरों पर निर्भर नहीं है।
