केंद्रीय गृह मंत्रालय का इंकार

0
MHA

संपादकीय { गहरी खोज }: पंजाब व हरियाणा द्वारा चंडीगढ़ स्थित विधानसभा का संयुक्त उपयोग करने से मौजूदा हरियाणा विधानसभा में 90 विधायक ही बैठ सकते हैं। 2028 में हरियाणा परिसीमन की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो हरियाणा विधानसभा की सीटें 90 से बढ़कर 126 हो जाएंगी, जिस कारण विधायकों के बैठने की समस्या हो सकती है। इसी समस्या को सम्मुख रखते हुए हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ में अपनी अलग विधानसभा बनाने के लिए केंद्र सरकार से जमीन मांगी थी और बदले में जमीन देने का सुझाव भी दिया था। हरियाणा की उपरोक्त मांग का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी की मान सरकार ने पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन देकर कहा था कि हरियाणा को चंडीगढ़ में जगह न दी जाए क्योंकि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है।

जुलाई 2023 में चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा को रेलवे लाइट प्वाइंट के पास 10 एकड़ जगह देने पर अपनी सहमति जताई थी, अब केंद्रीय गृह मंत्रालय को हरियाणा सरकार के उच्चाधिकारियों ने इस मामले में पुनः सम्पर्क किया तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस योजना पर रोक लगाते हुए चंडीगढ़ प्रशासन को जमीन को लेकर किसी तरह की कार्रवाई को आगे न बढ़ाने के आदेश दिए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हरियाणा विधानसभा भवन के लिए दिए जाने वाले प्रस्ताव पर रोक लगाना एक उचित व व्यवहारिक कदम ही है। कृषि कानूनों के बाद पंजाब विश्वविद्यालय सैनेट मामले में और चंडीगढ़ को स्थाई रूप से केंद्रीय शासित प्रदेश बनाने के जो निर्णय केंद्र सरकार ने लिए थे इन निर्णयों के कारण पंजाब में केंद्र सरकार को लेकर जो भ्रम व भ्रांतियां पैदा हुई उससे केंद्र सरकार की छवि व साख पंजाबवासियों की नजरों में कमजोर हुई थी। अब इस एक निर्णय के साथ केंद्र सरकार अपनी नियत व नीति को स्पष्ट करने तथा जो उंगलियां केंद्र सरकार पर लिए गए निर्णयों के कारण उठ रही थीं, अब रुक जाएंगी।

केंद्र सरकार के इस इंकार से पंजाब भाजपा ने भी राहत महसूस की होगी, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा अतीत में लिए निर्णयों से पंजाब भाजपा को अपना बचाव करना भी मुश्किल हो रहा था। अब पंजाब भाजपा कह सकती है कि केंद्र सरकार पंजाबियों की समस्याओं और भावनाओं का सम्मान करती है। इसीलिए केंद्रीय सरकार ने न केवल अतीत में लिए निर्णय वापस लिए साथ ही हरियाणा विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में जमीन देने से भी इंकार किया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लिए निर्णय का हरियाणा कांग्रेस विरोध कर रही है। वही पंजाब सरकार के साथ-साथ पंजाब कांग्रेस भी स्वागत कर रही है। चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और रहेगी, इस बात को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार तथा केंद्र सरकार को हरियाणा की नई राजधानी की जगह ढूंढ कर आपसी सहयोग के साथ उसका निर्माण कार्य शुरू करना चाहिए। नायब सिंह सैनी सरकार को आंध्र प्रदेश की तरह अमरावती जैसी हरियाणा के लिए नई राजधानी बनाने पर विचार करना चाहिए।

हरियाणा व केंद्र सरकार मिलकर हरियाणा की नई राजधानी की जगह और निर्माण की घोषणा अगर करती है तो प्राथमिक दौर में विपक्षी दलों का विरोध होगा, यह स्वाभाविक है। लेकिन हरियाणावासी इस का स्वागत ही करेंगे, क्योंकि इस निर्णय के साथ हरियाणा विकास की राह पर जिस गति से आगे बढ़ेगा वह हरियाणा की भावी पीढियों के सपनों को साकार करने को गति और आधार भी देगा। आवश्यकता है तो नायब सिंह सैनी सरकार की इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प की। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ में हरियाणा को जगह न देने का जो निर्णय लिया है वह स्वागतयोग्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *