छत्तीसगढ़ के सुकमा एसपी ने इनामी नक्सली कमांडर बारसे देवा के आत्मसमर्पण का किया खंडन

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जगदलपुर{ गहरी खोज }: छत्तीसगढ़ के बस्तर में इनामी नक्सली कैडर बारसे देवा (पीएलजीए बटालियन नं. 01 के कमांडर) के आत्मसमर्पण और पुनर्वास को लेकर आज मंगलवार काे खबरें प्रसारित हाे रही हैं। हिड़मा का करीबी और भरोसेमंद साथी बारसे देवा के आत्मसमर्पण करने एवं उसके जंगल से बाहर निकलने के लिए सुकमा इलाके में उसके लिए सुरक्षित कॉरिडोर तैयार किये जाने का सुकमा पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने खंडन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ज़िले में ऐसी जानकारी या परिस्थितियां 02 दिसंबर 2025 की शाम तक सामने नहीं आई हैं।
पीएलजीए बटालियन नं.01 का कमांडर नक्सली कैडर बारसे देवा पर 25 लाख का इनाम घोषित है। टेकलगुडेम, बुरकापाल, मिनपा, ताड़मेटला, टहकवाड़ा में उसकी टीम ने ही बड़े हमले किए थे, जिसमें सैकड़ों जवानों का बलिदान हुआ था।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा कुछ दिन पहले पूवर्ती गांव गए थे। वहां उन्होंने देवा और हिड़मा इन दोनों की मां से मुलाकात की थी। इनके माध्यम से उनसे सरेंडर करने की अपील की थी। वहीं हिड़मा नहीं माना और आंध्र प्रदेश के जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में पत्नी राजे समेत 6 साथियों के साथ मारा गया। अब देवा बारसे बाकी बचा है।
गौरतलब है कि 18 नवंबर को नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य माड़वी हिड़मा का आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सितारामा राजू जिले में हुए मुठभेड़ के बाद बस्तर में नक्सल संगठन पूरी तरह टूट गया है। क्योंकि हिड़मा ही एक ऐसी कड़ी था जो नक्सली संगठन और बस्तर को जोड़े रखा था। वहीं हिड़मा का करीबी और भरोसेमंद साथी बारसे देवा एक मात्र बस्तर का स्थानीय नक्सली कमांडर बाकी है, जिसकी तलाश पुलिस काे है। अब देखना है कि नक्सली कमांडर बारसे देवा आत्मसमर्पण करता है या सुरक्षा बलों के साथ उसकी मुठभेड़ होती है। नक्सली कमांडर बारसे देवा के साथ ही बस्तर से नक्सली नेतृत्व का पूरी तरह से खात्मा हाे जायेगा।
बस्तर आईजी सुंदरराज पट्टलिंगम ने आज बताया कि सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत किए जा रहे सतत प्रयास बस्तर रेंज में उल्लेखनीय परिणाम दे रहे हैं। सिर्फ पिछले दो महीनों में ही 570 से अधिक नक्सली कैडर, जिनमें केंद्रीय समिति सदस्य सतीश उर्फ रूपेश तथा दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) सदस्य रणिता, राजमन मांडवी, राजू सलाम, वेंकटेश और श्याम दादा शामिल हैं, हिंसा का रास्ता छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा में लौटने का निर्णय ले चुके हैं।
उन्होंने कहा कि बारसे देवा, पप्पा राव, देवजी जैसे कैडरों को भी यह समझना होगा कि परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। अब हिंसा और संघर्ष की राह पर बने रहने से न उन्हें और न ही अन्य कैडरों को किसी प्रकार का लाभ मिलने वाला है। इसके विपरीत, मुख्यधारा में लौटकर सम्मान, स्थिरता और नई शुरुआत का अवसर अभी उनके सामने है। इसलिए मुख्यधारा में लौटने के निर्णय को और टालने का कोई अर्थ नहीं है। सही फैसला लेने का यही सबसे उपयुक्त समय है।

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