विश्व एड्स दिवस 2025: एचआईवी के खिलाफ भारत की बड़ी उपलब्धि: नड्डा
नयी दिल्ली { गहरी खोज }: विश्व एड्स दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को विज्ञान भवन में राष्ट्रीय समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि भारत एचआईवी को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और 2030 तक सभी वैश्विक लक्ष्य हासिल कर लेगा।
नड्डा ने बताया कि पिछले 14 वर्षों में भारत में नए एचआईवी संक्रमणों में 48.7%, एड्स से होने वाली मौतों में 81.4% और मां से बच्चे में संक्रमण में 74.6% की कमी दर्ज की गई है। एचआईवी टेस्टिंग का दायरा 2020-21 के 4.13 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 6.62 करोड़ तक पहुंच गया है। उपचार प्राप्त कर रहे मरीजों की संख्या 14.94 लाख से बढ़कर 18.60 लाख हो गई है। वायरल लोड टेस्टिंग भी 8.90 लाख से बढ़कर 15.98 लाख तक पहुंची है।ये आंकड़े वैश्विक औसत से बेहतर हैं- भारत में नए संक्रमणों में 35% की कमी आई है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह कमी 32% है। एड्स से होने वाली मौतों में भारत में 69% की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक 37% के मुकाबले लगभग दोगुनी है।
मंत्री ने बताया कि भारत में अब 88% मरीजों को उपचार उपलब्ध है और 97% मरीजों में वायरस पूरी तरह दबा हुआ है। एचआईवी के बारे में जागरूकता भी 85% तक पहुंच गई है। उन्होंने भारतीय दवा कंपनियों की सराहना करते हुए कहा कि भारत पूरी दुनिया को सस्ती और प्रभावी दवाएं उपलब्ध कराकर मानवता की सेवा कर रहा है।
नड्डा ने बताया कि देश के हर जिले के प्रत्येक सब-डिवीजन में एआरटी सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे मरीजों को इलाज प्राप्त करना आसान हुआ है। हालांकि, टीबी के साथ एचआईवी का सह-संक्रमण और दवाएं नियमित रूप से न लेने जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिनके लिए अधिक काउंसलिंग और सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि 2017 में लागू हुआ एचआईवी/एड्स एक्ट भेदभाव रोकने और मरीजों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
समारोह में केंद्रीय मंत्री ने तीन विषयों पर आधारित नेशनल मल्टीमीडिया अभियान लॉन्च किया – युवाओं में जागरूकता, मां से बच्चे में संक्रमण समाप्त करना और स्टिग्मा तथा भेदभाव को खत्म करना। इसके साथ ही संकल्पक का सातवां संस्करण, इंडिया एचआईवी एस्टिमेट्स 2025, रिसर्च कम्पेंडियम और युवाओं के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म ब्रेकफ्री भी शुरू किया गया, जहां गोपनीय तरीके से जोखिम आकलन, टेस्टिंग और उपचार से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी। प्रदर्शनी में नागालैंड के सिटी बार्न यूथ स्पेस और मुंबई के फास्ट-ट्रैक सिटी मॉडल जैसे नवाचारों को प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने एनएसीओ के तीन वरिष्ठ विशेषज्ञों और दो एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को सम्मानित किया, जिन्होंने अपनी प्रेरक जीवन यात्रा साझा की।
स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि एचआईवी के खिलाफ भारत का अभियान अब देश के सबसे बड़े और सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक बन चुका है। यह इस बात का प्रमाण है कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और समुदाय की भागीदारी से किसी भी चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया जा सकता है। भारत 2030 तक 95-95-95 वैश्विक लक्ष्य (95% लोग अपनी स्थिति जानें, 95% को उपचार प्राप्त हो और 95% मरीजों में वायरस दब जाए) हासिल करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
