हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस और बीजेपी विधायकों के विरोध प्रदर्शन

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धर्मशाला{ गहरी खोज }: धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सत्ता पक्ष कांग्रेस और विपक्ष भाजपा—दोनों के विधायकों ने समानांतर प्रदर्शन किए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। दोनों दलों के सदस्यों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाज़ी की, और सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही परिसर में राजनीतिक तापमान बढ़ गया।
कांग्रेस विधायक दल ने 1,500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यह पैकेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 9 सितंबर को राज्य के दौरे के दौरान घोषित किया गया था।
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि भारी आपदा जनित नुकसान झेलने के बावजूद केंद्र सरकार ने दो महीने से अधिक समय बीत जाने पर भी यह राशि जारी नहीं की। उन्होंने केंद्र पर राज्य के प्रति “सौतेला रवैया” अपनाने का आरोप लगाया।
उधर, भाजपा विधायकों ने सूक्खू सरकार को “कर्मचारी-विरोधी” बताते हुए प्रदर्शन किया। भाजपा विधायकों ने हाथों में तख्तियां लेकर आरोप लगाया कि राज्य सरकार मेडिकल रीइम्बर्समेंट बिल, बकाया राशि, लीव एनकैशमेंट, ग्रेच्युटी, डीए और पेंशन के भुगतान में “विफल” रही है।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “रिकॉर्ड कर्ज” लेने के बावजूद सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को वित्तीय लाभ देने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पैकेज राज्य को मिलकर ही रहेगा। विधानसभा परिसर के बाहर दोनों दलों के टकराव की गूंज सदन के भीतर भी सुनाई दी। प्रश्नकाल से पहले विपक्ष की नारेबाज़ी के कारण स्पीकर को सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। विधानसभा परिसर में एक ही समय पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि किसी भी मुद्दे पर प्रदर्शन से पहले विधानसभा सचिवालय को पूर्व सूचना देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सचिवालय दोनों दलों को समान समय आवंटित करेगा ताकि किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से बचा जा सके।

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