जीएसटी दर समायोजन से खपत में वृद्धि, अर्थव्यवस्था बनी मजबूत: वित्त मंत्रालय
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, जीएसटी दरों के तर्कसंगत समायोजन ने घरेलू खपत को मापनीय बढ़ावा दिया है और भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्तीय वर्ष में जोखिमों को संभालते हुए वृद्धि की गति बनाए रखने के लिए मजबूती से तैयार है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मुद्रास्फीति के दबाव कम होने और हाल ही में लागू किए गए कर सुधारों से घरों की आय बढ़ी है, जिससे निकट-अवधि में खपत का परिदृश्य सकारात्मक दिखाई दे रहा है।
अक्टूबर 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 0.25 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो सितंबर 2025 में 1.44 प्रतिशत थी। इस गिरावट का मुख्य कारण जीएसटी दरों में कटौती का पूरा प्रभाव, अनुकूल आधार प्रभाव और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी दरों का यह समायोजन खपत में वृद्धि का स्पष्ट संकेत देता है, जो उच्च-आवृत्ति संकेतकों में दिखाई देता है, जैसे कि अधिक ई-वे बिल, उत्सव मौसम में रिकॉर्ड ऑटोमोबाइल बिक्री, मजबूत यूपीआई लेन-देन और ट्रैक्टर बिक्री में वृद्धि।
सरकार ने 22 सितंबर 2025 से लगभग 375 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती की, और 5%, 12%, 18% और 28% की दरों को 5% और 18% में समायोजित किया, जिससे रोजमर्रा की 99 प्रतिशत वस्तुएँ सस्ती हुईं। यह सुधार शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग की स्थिति में व्यापक सुधार की ओर संकेत करता है। स्वतंत्र आर्थिक आकलनों के अनुसार Q2 FY26 में वास्तविक GDP वृद्धि 7–7.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जो आर्थिक गतिविधियों की निरंतर मजबूती को दर्शाता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वैश्विक अस्थिरताएँ, जैसे व्यापार नीति में बदलाव, भू-राजनीतिक तनाव और वित्तीय बाजारों की अस्थिरता, निर्यात, पूंजी प्रवाह और निवेशकों के मनोबल के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। हालांकि, स्थिर मुद्रास्फीति अपेक्षाओं, सतत सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और ग्रामीण एवं शहरी मांग में मजबूती के कारण अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और FY26 के शेष हिस्से में वृद्धि की गति बनाए रखने में सक्षम है।
सरकार ने श्रम सुधारों में भी ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। चार श्रम संहिता – वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कार्य परिस्थितियों की संहिता – लागू की गई हैं, जिससे 29 पुराने श्रम कानूनों का एकीकरण हुआ है। इन सुधारों से श्रमिक कल्याण में सुधार हुआ है और भविष्य के लिए तैयार कार्यशक्ति एवं मजबूत उद्योगों का आधार तैयार हुआ है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कॉर्पोरेट प्रदर्शन स्वस्थ बना हुआ है, लाभप्रदता स्थिर है और घरेलू वित्तीय बाजार मजबूत संस्थागत भागीदारी से लाभान्वित हो रहे हैं। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जीएसटी दरों में तर्कसंगत सुधार ने खपत को बढ़ावा दिया है और अर्थव्यवस्था वृद्धि की गति बनाए रखने के लिए स्थिर स्थिति में है।
