सरकार के साथ भी, सरकार के बाद भी
संपादकीय { गहरी खोज }: कोई भी सरकार हो, सरकार में मंत्री होते हैं, कई मंत्रियों के कई विभाग होते हैं। कई विभागों में बहुत सारे अधिकारी होते हैं और कुछ ईमानदार होते है और कुछ ईमानदार नहीं होते हैं। जो ईमानदार नहीं होते है, वह जब देखते हैं कि उनका मंत्री या मुख्यमंत्री भी उनके जैसा है तो ऐसे सरकार के समय हर विभाग में घोटाले होना स्वाभाविक है। कहा जाता है कि घोटाले के बीज तो अफसरों के मन में हमेशा रहते हैं लेकिन वह फलते व फूलते तब है जब अनुकूल मौसम रहता है। कहा जाता है कि भ्रष्टाचार तो हर कोई करना चाहता है लेकिन कर वही पाता है जिनको मौका मिलता है। मौका ऐसी सरकार के समय मिलता है जब किसी को सीएम व मंत्री ही इस आधार पर बनाया जाता है कि पार्टी ने तुम्हारे लिए कितना कुछ किया है, अब मौका है कि तुमको पार्टी के लिए कुछ करना है।
राजनीति में पार्टी के लिए कुछ किया जाता है तो उसे गलत नहीं कहा जाता है,उसे अपराध नहीं माना जाता है, उसे भ्रष्टाचार नहीं माना जाता है। ऐसे आदमी को आलाकमान सबसे योग्य नेता मानता है। ऐसे योग्य नेता जब बड़े पद पर आते हैं तो उसे अपने काम के लिए योग्य अफसरों की जरूरत पड़ती है और ऐसे योग्य अफसर हर विभाग में मिल जाते हैं। जब योग्य नेता व योग्य अफसर मिल जाते हैं तो किसी राज्य में शराब घोटाला होता है, किसी राज्य में डीएमएफ घोटाला होता है, महादेव सट्टा घोटाला होता है, रीएजेंट घोटाला होता है।छत्तीसगढ़ राज्य बने २५ साल हो गए हैं, इसमें तीन साल जोगी सरकार, १५ साल रमन सरकार के समय को सदाचार काल माना जा सकता है क्योंकि कोई ऐसा बड़ा घोटाला नहीं हुआ जिसके लिए उनके बाद की सरकार ने जांच कराई हो और किसी की गिरफ्तारी हुई हो, किसी को सजा हुई हो।यही वजह है कि रमन सरकार को जनता ने तीन बार सेवा का मौका दिया।
रमन सरकार के बाद कांग्रेस पांच साल सत्ता में रही। इस दौरान जितने घोटाले हुए, उतने इससे पहले छत्तीसगढ़ में कभी नहीं हुए। एक से बढ़कर एक घोटाले हुए। हर घोटाले की जांच चल रही है, कुछ लोग जांच के बाद गिरफ्तार किए गए है, कुछ जमानत पर बाहर है तो कुछ महीनों से जेल मे हैं। आए दिन कहीं छापा पड़ता है, सबूत मिलता है, फिर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है। हर छापे के बाद कुछ लोगों को डर लगता है कि कहीं मैं तो गिरफ्तार नहीं किया जाऊंगा और सरकार की आलोचना शुरू हो जाती है।सबको फर्जी तरीके से फंसाने का काम चल रहा है,डराने,धमकाने व पैसा वसूली का काम चल रहा है।छापे मारे जा रहे हैं, दूसरों के यहां छापे मारे जा रहे हैं, भाजपा नेताओं, व्यापारियों के यहां छापे नहीं मारे जा रहे है। शिकायत यह है कि हमारे यहां छापे मारे जा रहे हैं, इसलिए यह ठीक नहीं है, भाजपा के यहां छापे पड़ेंगे तब हम मानेंगे कि सही काम हो रहा है।
राज्य में हुए घोटाले में सबसे गजब का घोटाला तो रीएजेंट घोटाला है। यह भी करोड़ो का गजब का घोटाला है। इस घोटाले के विषय में कहा जाता है यह खुला नहीं होता तो सरकार के साथ भी और सरकार के बाद भी फायदे का होता। कांग्रेस सरकार के समय मोक्षित कंपनी ने खून जांच करने के लिए ९ में ७ ऐसी मशीनें सप्लाई की। इन ७ मशीनों से जांच तब हो सकती है जब रीएजेंट भी उसी कंपनी को हो। यानी दूसरी कंपनी के रीएजेंट से उस मशीन में खून की जांच नहीं हो सकती। यह सप्लाई मोक्षित की कंपनी ही करती है, हीएजेंट घोटाले के बाद मोक्षित की कंपनी से रीएजेंट खरीदना नही है, इसलिए बताया जाता है कि सरकारी अस्पतालों में रीएजेंट नही होेने के कारण खून की जांच बंद है। यही नहीं इस कंपनी ने कई मशीनों को लाक कर दिया है इससे कई मशीनों का उपयोग नही हो पा रहा है।सरकार कोई भी हो मशीन से खून की जांच करनी है तो रीएंजेंट तो हमी से खरीदना होगा।हमारा सहयोग करना होगा, हमारा सहयोग लेना होगा। इसे कहते हैं कि एक सरकार के घोटाले का खामियाजा दूसरी सरकार को भी भुगतना पड़ता है।
