तरनतारन उपचुनाव: आप की जीत, विरोधियों के लिए चेतावनी
- रितिन खन्ना
- संपादकीय { गहरी खोज }: तरनतारन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की ज़बरदस्त जीत ने भगवंत मान सरकार को बड़ा राजनीतिक फ़ायदा दिया है। जीत की उम्मीद तो पहले से थी, लेकिन जितने बड़े अंतर से जीत मिली है उसने पंजाब के राजनीतिक जानकारों को भी चौंका दिया है। लंबे समय तक शिअद का गढ़ रहे माझे के विधानसभा हलका तरनतारन के वोटरों ने तीन चुनावों में जहां हर बार अपना मन बदला, वहीं हरमीत सिंह संधू ने दो चुनाव हारने का बदला यह उपचुनाव जीतकर ले लिया। यह नतीजा 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में ‘आप’ की स्थिति को मज़बूत और ज़रूरी बढ़त देगा।
शिरोमणि अकाली दल (बादल) के लिए यह परिणाम राहत भरा और महत्वपूर्ण है। पार्टी की उम्मीदवार सुखविंदर कौर का कांग्रेस और कट्टरपंथी समर्थित उम्मीदवार को पछाड़ कर दूसरे स्थान पर आना स.सुखबीर सिंह बादल के लिए बड़ा प्रोत्साहन है, जो पिछले एक दशक से कठिन दौर से गुजर रहे थे। हाल ही में राज्य में आई बाढ़ के दौरान सुखबीर बादल की सक्रियता ने पार्टी की छवि बेहतर की है, जिसका असर इस नतीजे में साफ़ देखा गया। अकाली दल (बादल) के पुन:जीवन के यह संकेत पंजाब की राजनीति के लिए भी सकारात्मक माने जा सकते हैं, क्योंकि पिछले कुछ समय पहले तक राज्य में कट्टरपंथी विचारों की बढ़ती पकड़ को लेकर चिंता बढ़ रही थी।
कांग्रेस इस चुनाव की सबसे बड़ी हारने वाली पार्टी बनकर सामने आई है। पंजाब में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी आज़ाद उम्मीदवार मंदीप सिंह खालसा से भी पीछे रह गयी, जिन्हें ‘वारिस पंजाब दे’ के नेता और सांसद अमृतपाल सिंह का समर्थन मिला था। चौथे स्थान पर रही कांग्रेस के लिए सबसे शर्मनाक बात यह रही कि पार्टी उम्मीदवार करणबीर सिंह अपनी ज़मानत भी नहीं बचा सके। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वडि़ंगऌ द्वारा पूर्व गृह मंत्री स्व. बूटा सिंह और सिख धर्म को लेकर दिए गए विवादित बयान पार्टी के लिए भारी पड़े। पूरा चुनाव अभियान कांग्रेस की अंदरूनी कलह और असंगठित स्थिति दिखाता रहा। 2024 में हरियाणा में अति आत्मविश्वास के कारण हुई हार के बाद अब पंजाब में भी वही स्थिति दिखने लगी है। पंजाब में अगर कांग्रेस 2027 में सत्ता में वापसी चाहती है, तो हाईकमान को तुरंत संगठन को मज़बूत करना होगा। अन्यथा 2027 के नतीजे भी कुछ इसी प्रकार के हो सकते हैं।
भाजपा का पांचवें स्थान पर आना एक बार फिर दिखाता है कि कृषि कानूनों के बाद भी पार्टी पंजाब के मतदाताओं की नब्ज़ नहीं पकड़ पा रही है। हरजीत सिंह संधू को उम्मीदवार बनाने के बाद पार्टी ने भरोसा जताया था कि उन्हें अच्छा समर्थन मिलेगा, पर नतीजे इसके उलट रहे। पंथक क्षेत्र होने के बावजूद भाजपा सम्मानजनक लड़ाई भी नहीं दे सकी। यदि भाजपा राज्य में अपनी खोई पकड़ वापस पाना चाहती है, तो उसे अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी। अकेले लडऩे के बजाय, पार्टी को अकाली दल के साथ सम्मानजनक गठबंधन पर फिर से विचार करना चाहिए क्योंकि भाजपा और अकाली दल का अलग-अलग चुनाव लडऩा अंतत: ‘आप’ के ही पक्ष में जाता है।
आप के लिए यह जीत बहुत बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला परिणाम है। पार्टी ने एक और उपचुनाव बड़े अंतर से जीतकर यह दिखाया है कि वह दिल्ली चुनाव में हार के बाद बेहद रणनीतिक और गंभीर तरीके से काम कर रही है। आने वाले लगभग 15 महीनों में विधानसभा चुनाव होंगे और आप को अब शिक्षा, स्वास्थ्य और राज्य की वित्तीय स्थिति पर काम करके इस सकारात्मक माहौल को बनाए रखना होगा। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल, पंजाब इंचार्ज मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान को इस ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई। तरनतारन का नतीजा साफ़ संकेत देता है कि 2027 के चुनाव तक पंजाब की राजनीति और भी रोचक और मुकाबले वाली होने जा रही है।
