भारत-ऑस्ट्रेलिया नर्सिंग संवाद संपन्न, क्षमता-विकास और वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्यों पर रहा केंद्रित

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नर्सिंग कार्यबल को मजबूत करने पर आयोजित दो-दिवसीय गोलमेज बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में संपन्न हुई। यह बैठक नर्सिंग शिक्षा, नेतृत्व और वैश्विक स्वास्थ्य तैयारी को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से द्विपक्षीय सहयोग में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई। यह आयोजन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, झपीगो और ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
मुख्य वक्तव्य देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में उप सचिव आकांक्षा रंजन ने भारत सरकार की नर्सिंग क्षेत्र को बदलने की दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हाल ही में सरकार ने मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ सह-स्थित 157 नए सरकारी नर्सिंग कॉलेजों को स्वीकृति दी है, जिससे छात्रों को शुरुआती और निरंतर क्लिनिकल अनुभव मिल सकेगा।
रंजन ने जोर देकर कहा कि यह परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2019 जैसे प्रगतिशील नीतिगत ढांचों द्वारा समर्थित है, जो नर्सिंग पाठ्यक्रमों में डिजिटल लर्निंग, कौशल-आधारित प्रशिक्षण और बहु-विषयी दृष्टिकोण को एकीकृत करता है। अब कार्यक्रम में 6,000 घंटे के संरचित प्रशिक्षण को शामिल किया गया है, जिससे भारत के नर्सिंग स्नातकों को वैश्विक देखभाल मानकों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय नर्सिंग और दाई आयोग (एनएनएमसी) अधिनियम, 2023 का भी उल्लेख किया, जिसे उन्होंने नर्सिंग शिक्षा और अभ्यास के विनियामक ढांचे को आधुनिक बनाने वाला ऐतिहासिक सुधार बताया। यह अधिनियम मानकीकृत गुणवत्ता, पारदर्शी शासन और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण प्रणाली सुनिश्चित करता है, ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा किया जा सके।

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