चाहे दिनभर कर लो कितनी भी पूजा-पाठ, अगर इस पहर में नहीं की साधना तो सब हो जाएगा बेकार!

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धर्म { गहरी खोज } :राधा रानी के परम भक्त और वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने सरल और प्रभावशाली उपदेशों के लिए जाने जाते हैं। हर उम्र के लोग प्रेमानंद महाराज के अनुयायी हैं। सभी उनकी कही गई बातों को बड़े गौर से सुनते हैं और अपने जीवन में उतारने का पूरा प्रयास करते हैं।
देश-दुनिया से लोग प्रेमानंद महाराज से मिलने आते हैं। वे लोगों की समस्याओं का आध्यात्मिक समाधान बताते हुए कहते हैं कि सही आदतें अपनाकर जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। ऐसे ही एक प्रवचन के दौरान उन्होंने ब्रह्म मुहूर्त में उठने के महत्व पर विशेष जोर दिया और बताया कि सुबह के इस समय किए गए आध्यात्मिक कर्म क्यों सबसे फलदायी होते हैं।

सुबह जल्दी उठना क्यों जरूरी?

अपने प्रवचनों में जीवन से जुड़े सवालों का समाधान देने वाले प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने पूछा कि वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाता। इस पर महाराज ने अत्यंत सरल और स्पष्ट उत्तर दिया कि यदि व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठ रहा है, तो इसका अर्थ है कि वह ब्रह्मचर्य और अनुशासन का पूर्ण पालन नहीं कर रहा।

ब्रह्म मुहूर्त में सोना क्यों हानिकारक?

महाराज ने कहा कि जो साधक सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच सोता है, यानी कि वह व्यक्ति बह्मचार्य का सही से पालन नहीं कर रहा है। ऐसा व्यक्ति जीवन में आध्यात्मिक फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर पाता। उनका मानना है कि ब्रह्म मुहूर्त में सोना आलस्य का भी संकेत है और यह समय सोने के लिए नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और साधना के लिए होता है।

रात में भजन या साधना करने वालों को छूट

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति रात 2 या 3 बजे तक भजन या साधना करता है, तो उसके लिए देर से जागना उचित है। लेकिन बिना कारण देर तक सोना साधना और आध्यात्मिक उन्नति दोनों को बाधित करता है। प्रेमानंद जी का कहना है कि आप पूरे दिन में चाहे कितना भी सत्संग सुनो या भजन कर लो, ब्रह्म मुहूर्त में जागे बिना वास्तविक आध्यात्मिक फल की प्राप्ति नहीं होती है।

ब्रह्म मुहूर्त में उठना ही है सच्ची उपासना

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो भी व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने ईष्ट का स्मरण करता है, उस पर भगवान की कृपा विशेष रूप से बनी रहती है। सुबह 4 से 6 बजे का वातावरण शांत, ऊर्जावान और दिव्यता से भरा होता है। इस दौरान किया गया मंत्रजाप कई गुना प्रभावी माना जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व

सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को “भगवान का समय” कहा गया है। इसे अक्षय मुहूर्त भी कहा जाता है। महाराज ने बताया कि इस समय उठकर स्नान कर, आंखें बंद करके मंत्रजाप करना अत्यंत शुभ होता है। इससे मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

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