जब्त विस्फोटकों के नमूने लेते समय जम्मू कश्मीर के नौगाम थाने में विस्फोट, नौ लोगों की मौत, 32 घायल
श्रीनगर{ गहरी खोज }: श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में आकस्मिक विस्फोट होने से नौ लोगों की मौत हो गई है और 32 अन्य लोग घायल हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) नलिन प्रभात ने शनिवार को यह जानकारी दी और किसी भी आतंकवादी हमले की संभावना से इनकार किया।
उन्होंने बताया कि विस्फोट शुक्रवार रात को उस समय हुआ जब एक विशेष टीम एक ‘सफेदपोश’ आतंकवादी मॉड्यूल के संबंध में जारी जांच के सिलसिले में हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त किए गए विस्फोटकों के एक बड़े और ‘‘अस्थिर’’ जखीरे से नमूने ले रही थी। प्रभात ने कहा, ‘‘इस घटना के कारण को लेकर कोई अन्य अटकलें लगाना अनावश्यक है।’’
उन्होंने पुलिस थाने को निशाना बनाकर संभवत: आतंकवादी हमला किए जाने के बारे में सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर प्रसारित हो रही अटकलों को खारिज कर दिया।
प्रभात ने बताया कि विस्फोट में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) टीम के तीन कर्मी, दो फोटोग्राफर, दो राजस्व अधिकारी (मजिस्ट्रेट टीम का हिस्सा), राज्य अन्वेषण अभिकरण (एसआईए) का एक अधिकारी और टीम से जुड़े एक दर्जी की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि कुल 32 लोग घायल हुए हैं – 27 पुलिसकर्मी, दो राजस्व अधिकारी और आस-पास के इलाकों के तीन आम नागरिक। उन्होंने बताया कि उन्हें इलाज के लिए तुरंत स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया। डीजीपी के अनुसार, नमूने लेने की प्रक्रिया पिछले दो दिन से जारी थी। उन्होंने कहा, ‘‘बरामदगी की अस्थिर और संवेदनशील प्रकृति के कारण, नमूना लेने की प्रक्रिया और संचालन का कार्य एफएसएल टीम द्वारा अत्यंत सावधानी के साथ किया जा रहा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान दुर्भाग्य से कल रात लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर एक आकस्मिक विस्फोट हुआ।’’
उन्होंने बताया कि प्राथमिकी संख्या 162/2025 की प्रक्रिया के तहत फोरेंसिक और रासायनिक जांच के लिए नमूने लिए जा रहे थे। इसी प्राथमिकी से जुड़े मामले की जांच में पूरे ‘सफेदपोश’ आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ और तीन चिकित्सकों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस प्रमुख ने बताया कि इस भीषण विस्फोट से पुलिस थाने की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और आस-पास की इमारतें भी प्रभावित हुईं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में लगातार छोटे-छोटे विस्फोट होने से बचाव अभियान में बाधा आई। जिन सामग्रियों से नमूना लिया जा रहा था वे पहले बरामद किए गए लगभग 360 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थों, अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर समेत रासायनिक पदार्थों का हिस्सा थीं।
यह जखीरा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नौ और 10 नवंबर को आरोपी डॉ. मुजम्मिल गनई के फरीदाबाद स्थित किराए के घर से बरामद किया था। मुजम्मिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह 360 किलोग्राम विस्फोटकों का बड़ा हिस्सा नौगाम पुलिस स्टेशन के खुले क्षेत्र में सुरक्षित रूप से रखा गया था। इस थाने में आतंकवादी मॉड्यूल के संबंध में प्राथमिक मामला दर्ज किया गया था। अक्टूबर के मध्य में नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर दिखाई देने के बाद पूरी साजिश का पर्दाफाश हुआ।
श्रीनगर पुलिस ने इस घटना को गंभीर खतरा मानते हुए 19 अक्टूबर को मामला दर्ज किया था और एक समर्पित टीम का गठन किया था।
सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण से जांचकर्ताओं को पहले तीन संदिग्धों की पहचान करने में मदद मिली। ये तीन संदिग्ध आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद हैं, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन तीनों के खिलाफ पथराव के मामले दर्ज थे और इन्हें पोस्टर चिपकाते हुए देखा गया था।
उनसे पूछताछ के बाद एक पूर्व पराचिकित्सक से इमाम बने मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया। उसने ही पोस्टर मुहैया कराए थे और माना जाता है कि उसने चिकित्सा समुदाय तक अपनी आसान पहुंच का इस्तेमाल करके चिकित्सकों को कट्टरपंथी बनाया।
इस सुराग के आधार पर श्रीनगर पुलिस अंततः फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय पहुंची, जहां से उसने डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया। यहीं से अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर सहित रसायनों का विशाल भंडार जब्त किया गया। जांचकर्ताओं का मानना है कि पूरा मॉड्यूल चिकित्सकों की एक मुख्य तिकड़ी द्वारा चलाया जा रहा था – मुजम्मिल गनई (गिरफ्तार), उमर नबी (10 नवंबर को लाल किले के पास विस्फोट में शामिल कार का चालक) और मुजफ्फर राठेर (फरार)। फरार डॉ. मुजफ्फर राठेर के भाई डॉ. अदील राठेर की भूमिका अब भी जांच के दायरे में है।
