कमांडरों ने ‘त्रिशूल’ अभ्यास की सराहना की, इसने नए मानक स्थापित किए, हमारी युद्ध क्षमता को किया और मजबूत

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पोरबंदर{ गहरी खोज }: शीर्ष भारतीय सैन्य कमांडरों ने गुरुवार को कहा कि अभ्यास ‘त्रिशूल’ (Exercise Trishul) ने संयुक्तता (jointness) और अंतर-संचालन (interoperability) के नए मानक स्थापित किए हैं और इसने सशस्त्र बलों की समग्र युद्ध क्षमता को और अधिक सुदृढ़ किया है।
करीब दो सप्ताह तक चला यह विशाल त्रि-सेवा (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) अभ्यास अपने अंतिम चरण में है और इसका समापन ‘एम्फेक्स 2025’ (Amphex 2025) नामक अंतिम उभयचर युद्धाभ्यास के साथ होगा, जो वर्तमान में गुजरात के सौराष्ट्र तट के माधवपुर बीच पर चल रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ; वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ; और एयर मार्शल नागेश कपूर, दक्षिण-पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने एम्फेक्स 2025 की शुरुआत से पहले मीडिया से बातचीत की।
उन्होंने बताया कि पिछले दो सप्ताह के दौरान थार रेगिस्तान से लेकर कच्छ तक थलसेना, नौसेना और वायुसेना ने “त्रिशूल” अभ्यास के तहत कई उप-अभ्यासों में भाग लिया। लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने कहा कि इस अभ्यास ने संयुक्त संचालन, एकीकरण और अंतर-संचालन में नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया, “अभ्यास के दौरान नई हथियार प्रणालियों, सैन्य उपकरणों और प्रक्रियाओं का परीक्षण किया गया और ‘त्रिशूल’ ने इन सभी को मान्य किया। हम भविष्य की सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।” वाइस एडमिरल स्वामीनाथन ने कहा कि इस अभ्यास में लगभग 30,000 थलसेना के जवान, कई लड़ाकू विमान, और नौसेना के करीब 25 जहाज और पनडुब्बियां शामिल थीं।
उन्होंने बताया, “हमने कई युद्धाभ्यासों और समुद्री संचालन, जिनमें विमानवाहक युद्ध समूह (Carrier Battle Group) भी शामिल था, का अभ्यास किया। विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भी इस अभ्यास का हिस्सा था।” उन्होंने कहा, “हम ‘अभ्यास त्रिशूल’ से और भी अधिक मजबूत होकर लौट रहे हैं।” त्रि-सेवा तालमेल को दर्शाते हुए, तीनों शीर्ष सैन्य कमांडरों ने पहले आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर ‘त्रिशूल’ के तहत आयोजित संयुक्त बहु-क्षेत्रीय (multi-domain) अभियान की समीक्षा की थी। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “उन्होंने कल रात विमानवाहक पोत से उड़ान संचालन (carrier-borne flying operations) और समुद्र में ईंधन एवं रसद आपूर्ति (underway replenishment) का प्रत्यक्ष प्रदर्शन देखा।”

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