निर्यात संवर्धन मिशन का त्वरित क्रियान्वयन स्पष्ट दिशा-निर्देशों, वित्त पोषण पर निर्भर: जीटीआरआई
नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: निर्यात संवर्धन मिशन का सफल क्रियान्वयन विस्तृत दिशा-निर्देशों के शीघ्र जारी होने व पर्याप्त वित्त पोषण और मजबूत समन्वय तंत्र के निर्माण पर निर्भर करेगा। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में निर्यात संवर्धन मिशन एवं निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना को मंजूरी दी गई।
सरकार ने 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी जिसका उद्देश्य भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करना है खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई), पहली बार निर्यात करने वाले और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए…। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि छह वर्ष में 25,060 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय प्रति वर्ष 4,200 करोड़ रुपये से कम है।
इसमें कहा गया कि केवल पिछले वर्ष ही ब्याज समकारी योजना पर 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई जिससे ब्रांडिंग, पैकेजिंग, व्यापार मेले, अनुपालन और लॉजिस्टिक्स जैसी अनेक गतिविधियों के लिए बहुत सीमित धनराशि बची। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ यह मिशन एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन इसकी सफलता शीघ्र विस्तृत दिशानिर्देश जारी करने, पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित करने और मजबूत समन्वय तंत्र बनाने पर निर्भर करेगी।’’ उन्होंने कहा कि मिशन अब भी एक व्यापक ढांचा मात्र है और अब इसे पात्रता, प्रक्रियाओं व संवितरण नियमों को स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ विस्तृत योजनाओं में तब्दील करने की आवश्यकता है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ एक नई ऑनलाइन प्रणाली भी विकसित की जानी चाहिए। निर्यातकों को कोई लाभ मिलने में और ये सभी करने में कई महीने लग सकते हैं।’’
