दक्षिण अफ्रीका ने ट्रंप के G20 शिखर सम्मेलन के बहिष्कार के फैसले को ‘साम्राज्यवादी’ बताया
जोहान्सबर्ग{ गहरी खोज } : दक्षिण अफ्रीकी सरकार और सत्तारूढ़ अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें उन्होंने दो सप्ताह बाद जोहान्सबर्ग में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। एएनसी के महासचिव फिकिले मबालुला ने ट्रंप और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो — जिन्होंने ट्रंप के आरोपों को दोहराया — दोनों पर तीखा प्रहार किया। मबालुला ने दोनों अमेरिकी नेताओं के बयानों को “झूठा” और “साम्राज्यवादी हस्तक्षेप” करार दिया।
ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में कोई भी अमेरिकी अधिकारी भाग नहीं लेगा। दक्षिण अफ्रीका इस साल की अध्यक्षता अमेरिका को सौंपने की तैयारी कर रहा है। ट्रंप ने अपने फैसले का कारण दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अफ्रिकानेर किसानों के कथित उत्पीड़न को बताया — जिसे दक्षिण अफ्रीकी सरकार और स्वयं श्वेत समुदाय के नेताओं ने बार-बार खारिज किया है।
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर कहा, “यह पूरी तरह शर्मनाक है कि जी20 दक्षिण अफ्रीका में आयोजित होगा। अफ्रिकानेर लोगों की हत्या और उनके खेतों पर कब्जा किया जा रहा है। जब तक ये मानवाधिकार हनन जारी रहेंगे, कोई भी अमेरिकी अधिकारी इसमें हिस्सा नहीं लेगा।” रुबियो ने भी ट्रंप के फैसले का समर्थन करते हुए एक्स (X) पर लिखा, “अफ्रिकानेर लगातार दक्षिण अफ्रीकी सरकार द्वारा हिंसक नस्लीय भेदभाव का सामना कर रहे हैं। मैं (ट्रंप) के फैसले की सराहना करता हूं कि ऐसे हालात में अमेरिकी करदाताओं के पैसे इस शिखर सम्मेलन पर खर्च नहीं किए जाएंगे।”
मबालुला ने इसका जवाब देते हुए कहा, “यह एक घोर झूठ है। दक्षिण अफ्रीका में कोई नस्लीय भेदभाव नहीं हो रहा। हमारे कानून रंगभेद से उत्पन्न असमानताओं को दूर करने के लिए बनाए गए हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने मानवता के खिलाफ अपराध घोषित किया था। हम साम्राज्यवादी छेड़खानियों को बर्दाश्त नहीं करते।” मबालुला ने दोहराया कि अमेरिका की भागीदारी न होने पर भी शिखर सम्मेलन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, “हम अमेरिका के बिना भी एक सफल जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित करेंगे। हम एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक देश हैं, जो निष्पक्ष व्यापार में विश्वास करता है, न कि महाशक्तियों के प्रभुत्व में।” मबालुला ने कहा, “ट्रंप दक्षिण अफ्रीका की संप्रभुता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके झूठे आरोपों को खारिज करते हैं। उनका रवैया दिखाता है कि वे हमें अमेरिका का अधीन देश मानते हैं — जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने कहा कि अमेरिकी आरोप “निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित” हैं। उन्होंने कहा, “‘व्हाइट जेनोसाइड’ या ‘अफ्रिकानेर उत्पीड़न’ जैसी बातें कल्पित हैं और राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं।” लामोला ने पुलिस डेटा का हवाला देते हुए बताया कि “अप्रैल 2020 से मार्च 2024 के बीच दक्षिण अफ्रीका के खेतों में 225 लोग अपराध के शिकार हुए, जिनमें से 101 पूर्व या वर्तमान खेत मजदूर थे — अधिकांश अश्वेत। 53 पीड़ित किसान थे, जिनमें अधिकतर श्वेत थे।” दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग ने भी बयान जारी कर कहा कि ट्रंप का दावा “इतिहास-विरुद्ध” है। बयान में कहा गया, “यह दावा कि यह समुदाय उत्पीड़न का शिकार है, तथ्यों से समर्थित नहीं है। इस मुद्दे पर हमारा रुख पहले जैसा ही है।”
विश्लेषकों ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के बीच संबंध तब से बिगड़ते जा रहे हैं जब ट्रंप ने कुछ श्वेत किसानों को राजनीतिक शरण देने की पेशकश की थी और दक्षिण अफ्रीकी वस्तुओं पर भारी शुल्क लगा दिया था। जी20 शिखर सम्मेलन में अब केवल दो सप्ताह शेष हैं, और आशंका जताई जा रही है कि ट्रंप के करीबी कुछ अन्य देश भी बहिष्कार कर सकते हैं।
