चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों से बाजरे के उच्च गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने का किया आह्वान
भुवनेश्वर{ गहरी खोज } : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाजरे को लाभकारी फसल बनाने तथा किसानों को उसके प्रति आकर्षित करने के लिए सोमवार को कृषि वैज्ञानिकों से उसके उच्च गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने का आह्वान किया। चौहान ने यहां ‘माड़िया (बाजरा) दिवस’ के अवसर पर श्री अन्न (बाजरा) और महिला किसान विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘किसान ऐसी फसलों की तलाश में हैं जो उन्हें बेहतर वित्तीय लाभ दे सकें। इसलिए, हमारे सामने बाजरे को एक लाभदायक फसल बनाना चुनौती है ताकि किसान बाजरे की खेती की ओर रुख कर सकें।’’
उन्होंने कहा कि ओडिशा ने बाजरे का उत्पादन छह क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करके अच्छा काम किया है और राष्ट्रीय औसत को पार कर लिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘फिर भी, हमारे वैज्ञानिकों के सामने बाजरे के बीजों की गुणवत्ता में और सुधार लाने तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए खेती की लागत कम करने का एक बड़ा काम है। हम आने वाले दिनों में इस संबंध में अपने प्रयास जारी रखेंगे।’’ उन्होंने फसल के प्रसंस्करण पर भी ज़ोर दिया ताकि किसानों, विशेषकर महिला किसानों को जमीनी स्तर पर फसल का अधिकतम लाभ मिल सके। चौहान ने कहा कि इसके अलावा इस फसल को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को किसानों से बाजरा खरीदने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा भारत का एकमात्र राज्य है जो किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बाजरा खरीद रहा है।’’
कृषि मंत्री ने कहा कि ओडिशा ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत स्कूली बच्चों को बाजरा से बने खाद्य पदार्थ को भी परोसा है। उन्होंने कहा कि बच्चों में स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने के लिए अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार किया जाना चाहिए।ओडिशा सरकार द्वारा बाजरे के क्षेत्र में अन्य राज्यों को राह दिखाने में अग्रणी भूमिका निभाने का उल्लेख करते हुए, केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वह बाजरे पर ओडिशा मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर और अन्य राज्यों में भी ले जायेंगे। इस अवसर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि बाजरे की खेती प्रारंभ में लगभग 30,000 हेक्टेयर में शुरू की गई थी और अब इसे राज्य के सभी 30 जिलों में विस्तारित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बाजरा या ‘माड़िया’, जिसे आदिवासी भोजन के रूप में जाना जाता था, अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘सुपर फ़ूड’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कदम से आदिवासी और महिला किसानों को लाभ होगा।
