धर्मांतरण और विभाजन हैं राष्ट्र के लिए खतरा: डॉ. मोहन भागवत

0
7ca7b5e2694c0993ed60bee59807bba8

बेंगलुरु{ गहरी खोज }:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने यहां एक व्याखानमाला में धर्मांतरण और राजनीतिक विभाजन पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, धर्मांतरण और विभाजन राष्ट्र के लिए खतरा हैं। हिंदू खुद को क्यों बांटें? राजनीति संप्रदायों के आधार पर बांटती है, लेकिन हमें एकता बनाए रखनी होगी। हमारी सनातन संस्कृति की ताकत एकता और सद्भाव है।
संघ प्रमुख ‘संघ की 100 वर्ष यात्रा : नए क्षितिज’ श्रृंखला के दूसरे दिन व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। यह व्याख्यान यहां बेंगलुरु के बनशंकरी में होसाकेरेहल्ली रिंग रोड स्थित पीईएस विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। संघ शताब्दी व्याख्यानमाला के दूसरे दिन आज प्रश्नों के उत्तर देते हुए डाॉ भागवत ने कहा, भारत में तीन शताब्दियों से धर्मांतरण के प्रयासों के बावजूद, हम अब भी हिंदुस्तान ही हैं। हमारा धर्म और संस्कृति जीवित है। इसे बचाए रखना हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है।
डॉ भागवत ने कहा कि सामाजिक एकता और आंतरिक गुणवत्ता देश के विकास, सुरक्षा और संस्कृति के संरक्षण की मूल शक्ति हैं। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाने वाले एमएसएमई, कॉर्पोरेट क्षेत्र, कृषि और स्वरोजगार क्षेत्रों के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि ये क्षेत्र देश की जीडीपी और रोजगार सृजन की रीढ़ हैं। इनकी शक्ति को और मज़बूत करने की ज़रूरत है।
भागवत ने सुझाव दिया कि भारत को परमाणु ईंधन के संदर्भ में थोरियम अनुसंधान को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। यूरेनियम के विकल्प के रूप में थोरियम के उपयोग में हम आत्मनिर्भर हैं। इस क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि आरएसएस न तो सरकार है और न ही कोई राजनीतिक दल, इसलिए हम प्रत्यक्ष कार्रवाई नहीं कर सकते, लेकिन हम जागरूकता पैदा करने और दबाव बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि संघ की सोच स्वदेशी दर्शन के अनुरूप सरकार और समाज में राष्ट्रीय दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए जारी है।
रोहिंग्या सहित अवैध प्रवासियों के मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब में भागवत ने कहा, भारत की सीमाएं असामान्य रूप से विभाजित हैं। कुछ स्थानों पर तो सीमा असामान्य है, जहां रसोई बांग्लादेश में है और बाथरूम भारत में है। मणिपुर सीमा बंद करने के स्थानीय विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए भागवत ने सलाह दी कि सीमाओं को पूरी तरह सुरक्षित किया जाना चाहिए। सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है, लेकिन स्थानीय और सामाजिक कारकों को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ‘संघ की सौ वर्ष यात्रा : नवक्षितिज’ विषय पर दो दिवसीय व्याख्यानमाला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, जिला संघचालक डॉ. पी. वामन शेनॉय, कर्नाटक दक्षिण प्रांत संघचालक जीएस उमापति मंच पर उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *