दुनिया में इंसानियत का पैग़ाम फैला रहे हैं जामिया के छात्र : प्रोफेसर आसिफ

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ ने विश्वविद्यालय के गौरवशाली अतीत का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि यहाँ से निकलने वाले छात्र इंसानियत का पैग़ाम लेकर जाते हैं और उसे पूरी दुनिया में फैलाने का काम करते हैं।
प्रोफेसर आसिफ ने विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह पर आयोजित छह दिवसीय तालीमी मेले के समापन समारोह में आज कहा कि पिछले छह दिनों से हर दिन विभिन्न शैक्षणिक सत्र, प्रदर्शनियाँ, कार्यशालाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए किये और इनमें प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद और कला एवं संस्कृति के मशहूर लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि जामिया अपने स्थापना के बाद से ही लगातार उंचाइयों को हासिल कर देश और दुनिया में अपना एक मुकाम हासिल किया है। विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी बात है कि पिछले सात आठ सालों से हर साल यहां से तीस से पैंतीस छात्र देश के सबसे बड़े इम्तेहान में पास कर सिविल सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस इदारे का तालीमी सफर बेमिसाल रहा है। मात्र 6-7 छात्रों और शिक्षकों वाले एक छोटे से उस्तादों के मदरसे के रूप में अपनी साधारण शुरुआत से यह विश्वविद्यालय 800 से ज़्यादा शिक्षकोंऔर 24,000 छात्रों के साथ एक विशाल और जीवंत संस्थान के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस इदारे को बनाने और बढाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि इस इसे चलाने के लिए अगर भीख मांगनी पड़ी तो वह भी करेंगे लेकिन इसे बंद नहीं किया जाएगा। उस दौर से निकलकर आज केंद्र सरकार की ओर से विश्वविद्यालय को सालाना छह सौ करोड़ रुपये अनुदान राशि दी जाती है और करीब पचास साठ करोड़ जामिया स्वयं अर्जित करती है।
कुलपति प्रो. आसिफ ने कहा ,”विश्व रैंकिंग में जामिया से ऊपर देश का कोई संस्थान नहीं है। एनआईआरएफ की रैंकिंग में जामिया चौथे स्थान पर है जो हम सभी के लिए फख्र की बात है। जामिया में तालीम के साथ साथ तरबियत और तहजीब भी सिखाई जाती है। यहां के छात्र पढाई के दौरान अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ इंसानियत की सीख लेकर निकलते हैं और दुनिया में जाकर इंसानियत का पैगाम फैलाने का काम करते हैं।”
प्रो. आसिफ ने आगे कहा , “हमारा लक्ष्य इस विरासत को और आगे बढ़ाकर एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्थापित करने की है। हम अपने छात्रों के लिए अतिरिक्त छात्रावास सुविधाएँ विकसित करने अधिक सुरक्षित परिसर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि उन्हें यहां आकर बहुत खुशी महसूस हो रही है। वह एक ऐसे संस्थान में आये हैं जिसने 105 पांच साल का सफर तय किया है। इस सफर में हमारे बुजुर्गों ने बड़े संघर्ष के साथ इसको आगे बढाने का काम किया है। महात्मा गांधी और रविंद्र नाथ टैगोर की सोच से बनी इस संस्थान में तालीम के साथ साथ तरबियत पर ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि मुल्क के कोने कोने से छात्र यहां आते हैं और कामयाब होकर कर देश में अपना योगदान दे रहे है। यहां से निकलने वाले छात्र देश भर में बड़े बड़े ओहदे पर काम कर देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तालीम फायदेमंद तभी होगा जब यह हमारे समाज के काम आये इसलिए तालीम को दूसरों तक पहुंचाना हमारा मकसद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का संकल्प तभी संभव होगा जब सभी छात्र देश में अपना योगदान देंगे।
जामिया के रजिस्ट्रार प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिजवी ने कहा कि स्थापना दिवस पर आयोजित छह दिवसीय तालीमा मेले का शानदार आयोजन किया गया जिसमें भारत दर्शन की झलक देखने को मिला। अखंड भारत कार्यक्रम के तहत छात्रों ने देश के सभी राज्यों की बेहतरीन प्रस्तुति पेश कर मिसाल कायम की है। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से वसुधैव कुटुम्बम के सिद्धांतों को साकार करते हुए देश को जोड़ने का संदेश दिया।
उल्लेखनीय है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के 105वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने 29 अक्टूबर की थी। जामिया प्रशासन ने विश्वविद्यालय के इस स्थापना दिवस के अवसर छह दिवसीय ‘तालीमी मेला’ का आयोजन किया। इस मेले में हर शाम का समापन विशेष संगीत कार्यक्रमों के साथ हुआ। स्थापना दिवस के पहले दिन शाम में शाम ए गजल का कार्यक्रम हुआ जिसमें पद्मश्री डा उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन ने शमा बांदने का काम किया। दूसरे दिन अखिल भारती कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जबकि एक नवंबर को गीत संगीत के अलावा सूफी नाईट का आयोजन किया गया। दो नवंबर को ‘एक शाम शहीदों के नाम’ संगतीमय कार्यक्रम में कलाकारों ने शानदान प्रस्तुति पेश की।

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