भारत के शौर्य, स्वाभिमान, सांस्कृतिक वैभव का प्रेरणास्थल होगा शिवाजी महाराज संग्रहालय: योगी

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लखनऊ{ गहरी खोज }: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक में आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय के निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा की और कहा कि यह संग्रहालय भारत के स्वाभिमान, सांस्कृतिक वैभव और वीरता का प्रेरणास्रोत बनेगा। उन्होंने अब तक की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए शेष कार्यों को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए और कहा कि भवन का निर्माण कार्य जनवरी तक हर हाल में पूर्ण कर लिया जाए, ताकि संग्रहालय को निर्धारित समय पर अंतिम रूप दिया जा सके।
एक सरकारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय केवल इतिहास का स्थिर प्रदर्शन न होकर एक जीवंत अनुभव स्थल होना चाहिए, जहाँ आगंतुक भारत की गौरवगाथा को महसूस कर सकें।
आदित्यनाथ ने ‘शिवाजी एवं द ग्रेट एस्केप गैलरी’ के संबंध में निर्देश दिए कि इसमें आगरा किले से छत्रपति शिवाजी महाराज की ऐतिहासिक मुक्ति की घटना को 7डी तकनीक, डिजिटल साउंड, लाइट और विजुअल इफेक्ट्स के माध्यम से प्रस्तुत किया जाए, ताकि आगंतुक उस क्षण की वीरता और रणनीति को सजीव रूप में अनुभव कर सकें। उन्होंने कहा कि यह अनुभाग शिवाजी महाराज के स्वराज्य संकल्प का प्रतीक बने। मुख्यमंत्री ने ‘अग्रदूतों की गैलरी’ में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के अमर सेनानियों से जुड़ी वस्तुओं, स्मृतियों और दस्तावेजों को संरक्षित और प्रदर्शित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब, तात्या टोपे और अन्य वीरों की स्मृतियाँ आधुनिक तकनीक के साथ प्रदर्शित की जाएं। उन्होंने ‘त्योहारों की गैलरी’ के संबंध में कहा कि इसमें काशी की महाशिवरात्रि और देव दीपावली, ब्रज क्षेत्र के श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और रंगोत्सव, तथा प्रयागराज के महाकुंभ जैसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्वों का जीवंत चित्रण किया जाए। मुख्यमंत्री ने ‘नदियों की गैलरी’ में गंगा, यमुना, सरयू और घाघरा जैसी नदियों से जुड़ी आस्था, संस्कृति और लोकजीवन का सजीव चित्रण करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने ‘आगरा गैलरी’ में शहर की स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के निर्देश दिए, ताकि आगंतुकों को मुगलकालीन स्थापत्य, ब्रज संस्कृति और आधुनिक आगरा का समग्र परिदृश्य एक साथ देखने को मिले। उन्होंने ‘ओरिएंटेशन गैलरी’ को संग्रहालय की प्रस्तावना के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए, जहाँ आगंतुकों को संग्रहालय के उद्देश्य, छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उस कालखंड के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश का परिचय मिल सके।

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