ज़्यादा सोना है सेहत के लिए बेहद खतरनाक, डिप्रेशन में जा सकते हैं आप, तेजी से बढ़ता है मोटापा
लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: हेल्दी शरीर के लिए ज़रूरी है कि नींद अच्छी आए। अच्छी नींद शरीर और मन को तरोताज़ा महसूस कराती है। लेकिन क्या आप जानते हैं ज़रूरत से ज़्यादा सोना आपको अवसाद में धकेल सकता है। बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप! ज़रूरत से ज़्यादा सोना मानसिक तनाव के साथ सेहत के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। इससे मोटापे, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
अवसाद की वजह बन सकता है ज़्यादा सोना:
नींद न आना अवसाद का एक बहुत ही आम लक्षण है। लेकिन ज़्यादा सोना भी अवसाद के लक्षणों में से एक है। लगभग 15% से 40% लोगों में अवसाद के साथ हाइपरसोम्निया देखा जाता है। हाइपरसोम्निया मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। हाइपरसोम्निया में व्यक्ति अक्सर रात में लंबे समय तक सोता है और फिर भी दिन में बहुत ज़्यादा नींद महसूस करता है और जागने में परेशानी होती है। यह स्थिति चिंता, चिड़चिड़ापन का कारण बनती है। कुछ लोगों के लिए सोना भावनात्मक पीड़ा से बचने का एक तरीका बन जाता है, लेकिन यह एक दुष्चक्र पैदा कर देता है जो अवसाद के लक्षणों को और गहरा कर देता है।
बढ़ सकती हैं ये परेशानियां भी:
मोटापा बढ़ना: ज़्यादा सोने से वज़न बढ़ सकता है, क्योंकि ज़्यादा सोने से घरेलिन और लेप्टिन जैसे हार्मोन के संतुलन पर असर पड़ता है। घ्रेलिन भूख बढ़ाता है और लेप्टिन भूख को कम करता है, और इनके संतुलन बिगड़ने से भूख ज़्यादा लग सकती है। ज़्यादा सोने से मेटाबोलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे शरीर में फैट जमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
ब्लड शुगर बढ़ना: अधिक नींद और अपर्याप्त नींद दोनों ही ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। नींद की कमी या ज़्यादा नींद दोनों ही हार्मोन असंतुलन और इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकते हैं, जिससे शरीर ग्लूकोज को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है।
हृदय रोग का खतरा: बहुत ज़्यादा सोने से हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि प्रति रात 7-8 घंटे की नींद लेना हृदय स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है, और इससे कम या ज़्यादा सोने से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
