दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन कर अपने देश में भी लागू करे आईसीएआरः शिवराज
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सुचारू कृषि शिक्षा और राज्यों में विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में खाली पड़े सभी पद शीघ्र भरने के लिए वे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजेंगे और वहां के कृषि मंत्रियों से भी चर्चा करेंगे।
शिवराज सिंह सोमवार को यहां पूसा में आयोजित राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। इसमें देशभर के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। हजारों विद्यार्थी आभासी रूप से भी जुड़े थे। साथ ही कृषि वैज्ञानिक, प्राध्यापक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) तथा कृषि विश्वविद्यालयों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी भी आभासी रूप से जुड़े।
शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि के छात्र-छात्राओं के भविष्य से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में बनाई गई नई शिक्षा नीति के अनुरूप देश में कृषि की भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने कमियों को दूर करने के लिए कृषि विद्यार्थियों की एक टीम बनाकर रचनात्मक सुझाव लेने के भी आईसीएआर को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेजों की ग्रेडिंग के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना चाहिए। दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन कर अपने देश में भी लागू करने के उपाय आईसीएआर करें।
शिवराज सिंह ने कहा कि खेती और गांव हमने मिलकर विकसित कर दिए तो पलायन भी रुकेगा, यह भी देशसेवा हैं। हम आत्मनिर्भर बनें, ताकि किसी भी देश पर हमारी निर्भरता नहीं रहे। विकसित और आत्मनिर्भर भारत, खेती के विकास के बिना नहीं हो सकता। यह भी देखें कि कृषि निर्यात और कैसे बढ़ सकता है। सालभर में कम से कम एक बार कृषि के विद्यार्थियों को किसानों के खेतों पर जाना ही चाहिए, ताकि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान मिल सकें।
उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार, रिसर्च, आधुनिक तकनीकों व ज्ञान का आदान-प्रदान सुनिश्चित करना था। इसमें विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान के आधुनिक आयाम और सरकार की नीतियों से अवगत कराया गया, वहीं इस मंच के माध्यम से कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने और कृषि में शोध कार्य को गति देने का प्रयास किया गया।
