सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट रजिस्ट्री को नोटिस जारी किया

0
The-Supreme-Court-1

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ाकर 61 साल करने से इनकार किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार और हाई कोर्ट रजिस्ट्री से जवाब मांगा है। 26 मई को मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
सोमवार को सीजेआई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मध्य प्रदेश जजेस एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। जजेस एसोसिएशन ने हाई कोर्ट के उस प्रशासनिक निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से इनकार किया गया था। एसोसिएशन का कहना है कि 26 मई के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन हुआ है, जिसमें साफ कहा गया था कि जिला जजों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई बाधा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने तब हाई कोर्ट से दो महीने के भीतर प्रशासनिक निर्णय लेने को कहा था।
याचिका के अनुसार, हाई कोर्ट ने 22 अगस्त 2025 के अपने प्रशासनिक आदेश की प्रति उपलब्ध नहीं कराई और सिर्फ रजिस्ट्रार जनरल के जरिए मौखिक रूप से निर्णय की जानकारी दी गई।
याचिका में कहा गया, “माननीय हाई कोर्ट ने अपनी निर्णय प्रति देने से भी इनकार कर दिया। मौखिक रूप से बताया गया कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग को स्थगित या खारिज कर दिया गया है क्योंकि वर्तमान में इसकी आवश्यकता नहीं है।” याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि subordinate judiciary के प्रति हाई कोर्ट का रवैया “सौतेला व्यवहार” दर्शाता है। एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत एस. भासमे ने दलील दी कि वे सिर्फ तेलंगाना की तर्ज पर न्यायिक अधिकारियों के साथ समानता चाहते हैं, जहां सेवानिवृत्ति आयु पहले ही 61 वर्ष कर दी गई है। उन्होंने कहा, “हम 62 नहीं, सिर्फ 61 साल की मांग कर रहे हैं, जैसा तेलंगाना में किया गया है।”
दलीलों पर विचार करने के बाद शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। अब यह मामला दो सप्ताह बाद सुना जाएगा।
इससे पहले भी शीर्ष अदालत ने कहा था कि मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 साल करने में कोई कानूनी अवरोध नहीं है और हाई कोर्ट को प्रशासनिक पक्ष पर निर्णय लेने को कहा था।
एसोसिएशन ने 2018 में जिला जजों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से 62 वर्ष करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बाद में उन्होंने मांग को घटाकर 61 वर्ष कर दिया, ताकि अन्य राज्यों के अनुरूप हो सके।
हाई कोर्ट ने पहले इस मांग को ठुकरा दिया था और 2002 के सुप्रीम कोर्ट के ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन मामले का हवाला दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उसी मामले में तेलंगाना सरकार की अपील पर स्पष्ट किया कि 61 वर्ष तक आयु बढ़ाने में कोई बाधा नहीं है। सीजेआई की पीठ ने कहा था, “ऐसे में हम कोई बाधा नहीं देखते कि मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष की जाए।” पीठ ने जोड़ा कि यह निर्णय हाई कोर्ट के प्रशासनिक फैसले पर निर्भर करेगा। पीठ ने कहा था, “अगर हाई कोर्ट फैसला लेता है कि आयु 61 की जाए, तो इसे अनुमति होगी।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *