कटघरे में पुलिस व्यवस्था

संपादकीय { गहरी खोज }: हरियाणा पुलिस अधिकारी एडीजीपी वाई. पूरन कुमार द्वारा की आत्महत्या और उसके कुछ दिन बाद एएसआई संदीप लाठर द्वारा की आत्महत्या ने हरियाणा पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। वाई. पूरन कुमार ने आत्महत्या से पहले अपने अंतिम नोट में हरियाणा के कई वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर जाति आधारित भेदभाव व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के आरोप लगाए थे। पूरन कुमार की पत्नी अमनीत आईएएस ने तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेन्द्र बिजारिया विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की थी। हरियाणा सरकार द्वारा एसपी रोहतक को तबदील और डीजीपी को छुट्टी पर भेज देने के बाद ही पूरन कुमार का संस्कार हुआ।
पूरन कुमार के संस्कार से पहले एएसआई संदीप लाठर ने आत्महत्या करने से पहले जो विडियो बनाई उसमें उसने पूरन कुमार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया व उसे एक भ्रष्ट अधिकारी बताया। संदीप लाठर के परिवार ने भी तभी दाह संस्कार किया जब पूरन कुमार की पत्नी अमनीत, उसके विधायक भाई के विरुद्ध आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकद्दमा दर्ज हो गया।
हरियाणा पुलिस के दो अधिकारियों द्वारा की गई आत्महत्याओं के कारण जहां प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है वहीं हरियाणा की अफसरशाही भी पर्दे के पीछे दो खेमों में विभाजित दिखाई दे रही है। एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना व्यवस्था की दृष्टि से आत्मघाती है। हरियाणा अपनी विकास की गति के लिए देश व दुनिया में चर्चा का विषय था, लेकिन दो आत्महत्याओं के कारण हरियाणा की व्यवस्था कठघरे में है और चर्चाओं का बाजार गर्म है।
वाई. पूरन कुमार द्वारा की आत्महत्या को लेकर प्रदेश व देश में जाति आधारित राजनीति गर्मा गई थी वहीं एएसआई लाठर द्वारा की आत्महत्या ने सारे मामले की दिशा को ही बदल कर रख दिया। कौन सच्चा व कौन झूठा है इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा। चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले को लेकर अपना विशेष जांच दल बनाया है, वहीं संदीप लाठर द्वारा लगाए आरोपों को लेकर हरियाणा सरकार ने मामले की जांच के आदेश अलग से दिए है।
मुद्दा एक है लेकिन जांच दल दो बन गए हैं। जांच को लेकर टकराव व मतभेद हो सकता है, ऐसी स्थिति में सरकार क्या रूख अखित्यार करती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। वाई. पूरन कुमार की पत्नी ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया है।
हरियाणा पुलिस के नये प्रमुख ओपी सिंह ने जिस समय व परिस्थितियों में अपना पद संभाला है उसको सम्मुख रखते हुए उन्होंने पुलिस बल को दिए संदेश में स्पष्ट किया है कि हर निर्णय में जनता की सुरक्षा और गरिमा सर्वोपरि होगी। उन्होंने पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि विभाग के काम में चुनौतियां भले ही बड़ी हों, लेकिन अगर हौसले चुनौतियों से बड़े रखे जाएं तो सफलता निश्चित है। डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि हरियाणा न केवल उनकी कर्मभूमि है बल्कि उनके बच्चों की जन्मभूमि भी है, इसलिए राज्य की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को मजबूत रखना उनका व्यक्तिगत संकल्प है। उन्होंने कहा कि वर्दी में बिताए दशकों ने मुझे सिखाया है कि जनविश्वास सुनने से बनता है, त्वरित कार्रवाई से बढ़ता है और निष्पक्ष न्याय से टिकता है। यही कसौटी मैं स्वयं पर और पूरे पुलिस बल पर लागू करूंगा।
हरियाणा के नये पुलिस प्रमुख के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती पुलिस की साख को बचाना और जनविश्वास को जीतना है। जब तक यह दो लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाते तब तक पुलिस व्यवस्था कटघरे में ही खड़ी दिखाई देगी। न्यायपालिका अगर एक समय सीमा के बीच इस मामले पर अपना निर्णय देती है तो उसके बाद स्थिति काफी स्पष्ट हो जाएगी। लेकिन जब तक न्यायालय का अंतिम फैसला नहीं आता तब तक पुलिस व्यवस्था पर उंगली उठती रहेगी और जाति आधारित राजनीति भी गर्माती रहेगी। सत्य क्या है यह जब जनता के सामने आएगा उतना वह ही पुलिस व्यवस्था पर लगे प्रश्न चिन्हों को हटाने में सहायक होगा। न्याय मिलने में देरी हानिकारक होगी।