उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के नेतृत्व में नालसा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में हुआ विकसित
मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने नालसा के दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्र क्षेत्रीय सम्मेलन में की भागीदारी गुवाहाटी{ गहरी खोज }: असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि कानून केवल नियमों का समूह नहीं, बल्कि राज्य और उसके लोगों के बीच विश्वास का सेतु है। उन्होंने कहा कि नालसा के तत्वावधान में आयोजित यह क्षेत्रीय सम्मेलन विशेष रूप से गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय तक बेहतर पहुंच को सुनिश्चित करेगी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने की। आज गुवाहाटी के सोनापुर में सिक्किम, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा सहित सात पूर्वोत्तर राज्यों के दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्र क्षेत्रीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि यह सम्मेलन पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों की न्यायपालिका और विधिक सेवा संस्थानों के सामूहिक अनुभव और ज्ञान को एक साथ लाता है, जिससे संस्थागत तंत्र मजबूत होगा और विशेष रूप से गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि 12 राज्यों के विधिवेत्ताओं की उपस्थिति न्याय प्रणाली की मजबूती और इस सामूहिक विश्वास को दर्शाती है कि कानून केवल नियमों का समूह नहीं है, बल्कि राज्य और जनता के बीच विश्वास का सेतु है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के तत्वावधान में क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और गौहाटी उच्च न्यायालय की पहल की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय को सुलभ, सरल और सार्थक बनाने के साझा लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध विचारों के मिलन का एक मंच प्रस्तुत करता है। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने नालसा की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के नेतृत्व में नालसा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में विकसित हुआ है। अपनी स्थापना के बाद से ही यह कानूनी सहायता, कानूनी जागरूकता प्रदान कर रहा है और वंचितों को उनके दैनिक जीवन में कानूनों को समझने और उनका उपयोग करने में मदद कर रहा है। जेलों के अंदर नालसा के प्रयास भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जहां कानूनी सहायता यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिनिधित्व के अभाव में कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रहे। स्कूलों, कॉलेजों और गांवों में नालसा के जागरूकता अभियानों ने नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने में मदद की है। डॉ. सरमा ने कहा कि कई पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में बाल विवाह का प्रचलन गंभीर सामाजिक-कानूनी चुनौतियां पेश करता रहता है। पॉक्सो अधिनियम और बाल विवाह कानूनों के बीच व्याप्त अतिव्यापन ने परस्पर विरोधी परिणाम उत्पन्न किए हैं। इसलिए, उन्होंने सामाजिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे में सामंजस्य स्थापित करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए लड़कियों की शिक्षा, जागरूकता और सशक्तिकरण सबसे प्रभावी साधन बने रहने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से पूर्वोत्तर की निकटता ने इसे मादक पदार्थों के व्यापार के प्रति संवेदनशील बना दिया है। असम इस लड़ाई में अथक प्रयास कर रहा है। हर साल 3,000 से अधिक एनडीपीएस मामले दर्ज किए जाते हैं और बड़ी मात्रा में हेरोइन, गांजा और नशीले पदार्थों की जब्ती की जाती है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन नशा मुक्त, स्वस्थ और सुरक्षित पूर्वोत्तर के निर्माण के लिए सशक्त प्रवर्तन, गवाह संरक्षण, पुनर्वास और युवा जागरूकता पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आदिवासी समुदाय वनों, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षक हैं, फिर भी कई लोग हाशिए पर हैं। उनका मानना है कि नालसा की नई संवाद योजना पांचवीं और छठी अनुसूची, पेसा अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम, 2006 जैसे कानूनों के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करेगी ताकि आदिवासी समुदायों को कानूनी सहायता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने राज्य भर के 46 चाय बागानों में कानूनी सहायता क्लीनिक स्थापित करने और उनका उद्घाटन करने की पहल की। उनका मानना है कि यह कदम चाय समुदायों को गरीबी, खराब स्वास्थ्य और शिक्षा व न्याय तक पहुंच की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त बनाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिकल्पित विकसित भारत पर डॉ. सरमा ने कहा कि भारत को पूरी तरह से विकसित भारत में बदलने के लिए, शासन, अर्थव्यवस्था, शिक्षा और न्याय जैसे हर क्षेत्र को एक मजबूत, समतामूलक और आत्मनिर्भर भारत के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस यात्रा में न्याय प्रदान करना एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसलिए, उन्होंने सभी के लिए न्याय को सुलभ, किफायती और समय पर उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कुछ प्राथमिकताएं निर्धारित कीं, जैसे न्याय तक डिजिटल पहुंच, हर गांव में कानूनी जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता वाला न्याय, युवा छात्रों, विधि स्नातकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को न्याय के दूत के रूप में शामिल करना और पर्यावरण एवं जलवायु न्याय को समान महत्व देना। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त करते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि दो दिवसीय सम्मेलन निश्चित रूप से विधिक सेवा संस्थानों के नेटवर्क को मज़बूत करेगा। कमज़ोर और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए न्याय तक पहुंच बढ़ाएगा और सामाजिक सरोकार के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता को बढ़ावा देगा। इस अवसर पर केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और गौहाटी, सिक्किम, पटना, कलकत्ता, झारखंड, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय और ओडिशा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश उपस्थित थे।