हर क्षेत्र में सफलता दिलाएगा शनिवार व्रत का ये एक आसान उपाय, जानिए कैसे और क्या करना होगा

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धर्म { गहरी खोज } : हिंद पंचांग के अनुसार, आज 11 अक्टूबर 2025 को कार्तिक महीने की पंचमी तिथि है। इसी के साथ शनिवार व्रत भी है। हालांकि, आज कोई विशेष त्योहार नहीं है, लेकिन बहुत से लोग शनिवार का व्रत करते हैं। दरअसल, शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है।

अगर आप किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन बार-बार आपके काम में रुकावटें आ रही हैं, तो आपके लिए शनिवार का व्रत करना लाभकारी होगा। जल्दी फल मिल सके इसलिए शनिवार व्रत से जुड़े कुछ उपाय भी बताए गए हैं। आपको एक आसान सा उपाय आजमाकर जरूर देखना चाहिए। आइए जानते हैं शनिवार व्रत के इस उपाय के बारे में…

शनिवार का व्रत कब शुरू करें
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शनिवार का व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले शनिवार से शुरू किया जा सकता है। धर्म के जानकारों का कहना है कि 7 शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसी के साथ व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है।

शनिवार व्रत की सही विधि
अगर आप शनिवार का व्रत शुरू करने जा रहे हैं, तो इसके लिए सही विधि पता होनी जरूरी है। इसके लिए आप शनिवार को व्रत करने का संकल्प लें और शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर घर के पूजा स्थल की सफाई करें। अब शनिदेव की प्रतिमा को स्नान कराएं। अब शनि देव को काले वस्त्र, रोली, फूल, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें। उनके सामने सरसों के तेल का दीया जलाएं। इसके बाद शनि स्त्रोत का पाठ करें। इसके साथ ही जातक को सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए।

इन मंत्रों का करें जाप- ‘शं शनैश्चराय नम:’ और ‘सूर्य पुत्राय नम:’ मंत्रों का जाप करें।

शनिवार व्रत का उपाय
कहते हैं कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। ऐसे में आपको व्रत के साथ हर शनिवार यह उपाय जरूर करना चाहिए। आप हर शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं। इस दिन सरसों के तेल का दान करना भी शुभ माना जाता है। इससे नेगेटिविटी दूर होती है। मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करते हैं। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दंडित करते हैं।

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