हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर बस हादसे में कई परिवारों के बुझ गए चिराग, 16 की मौत

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शिमला{ गहरी खोज }: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में मंगलवार शाम हुए भयावह बस हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। झंडूता उपमंडल के भल्लू पुल के पास पहाड़ी से अचानक भारी मलबा गिरने से मरोतम से घुमारवीं जा रही निजी बस ‘संतोषी’ देखते ही देखते मिट्टी और पत्थरों के ढेर तले दब गई। इस दर्दनाक हादसे में 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दो मासूम बच्चों को मलबे से जीवित निकाल लिया गया है। हादसे में एक आठ वर्षीय लापता बच्चे का शव बचाव दलों ने आज सुबह बरामद किया।
हादसे के वक्त बस में करीब 18 लोग सवार थे। शाम के समय हुई भारी वर्षा के बीच मलबा गिरने की आवाज और चीख-पुकार ने पूरे इलाके को दहला दिया। स्थानीय लोग सबसे पहले मौके पर पहुंचे और फंसे लोगों को बचाने की कोशिश की। थोड़ी ही देर में पुलिस, प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम ने राहत-बचाव कार्य शुरू किया। बारिश के बावजूद रातभर ऑपरेशन चला और बुधवार सुबह तक मलबे से सभी शवों को निकाला गया। एनडीआरएफ के जवान स्निफर डॉग्स की मदद से अब भी लापता बच्चे की तलाश कर रहे हैं।
इस हादसे में दो छोटे बच्चों का जिंदा बच निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं। 8 वर्षीय शौर्य और उसकी 10 वर्षीय बहन आयूषी को जब मलबे से जिंदा बाहर निकाला गया तो सभी की आंखें नम हो गईं। दुर्भाग्य से दोनों की मां कमलेश कुमारी (36) की इस हादसे में मौत हो गई। दोनों बच्चे फिलहाल एम्स बिलासपुर में भर्ती हैं और खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
डीएसपी घुमारवीं विशाल वर्मा ने बताया कि मृतकों में 9 पुरुष, 4 महिलाएं और 3 बच्चे शामिल हैं। जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार मृतकों की पहचान झंडूता निवासी सारिफ खान (25), रजनीश कुमार (36), चुन्नी लाल (52), बक्शी राम (42), अंजना (29) और उसके बेटे राकेश (7) व आरव (4), कमलेश कुमारी (36), घुमारवीं निवासी राजीव (40), नरेंद्र (52), कांता देवी (51), नैना देवी निवासी कृष्ण लाल (30), कलोल निवासी प्रवीण (40) और हमीरपुर जिला के बड़सर निवासी दंपति संजीव कुमार (35) व विमला देवी (35) के रूप में हुई है। इस दंपति का 8 वर्षीय बेटे राहुल की भी मौत हो गई।
इस बीच उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने लोगों से अपील की है कि जिन व्यक्तियों को लगता है कि उनके परिजन कल से लापता हैं, वे तत्काल हेल्पलाइन नंबर +91 98168 33137 पर संपर्क करें। इसके अतिरिक्त, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के नंबर 01978-224901 और 94594-57061 पर भी जानकारी दे सकते हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई दिनों से पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा था। लोगों ने प्रशासन को चेताया भी था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दो दिनों से लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण ढीली पड़ी मिट्टी आखिरकार दरक गई और एक ही पल में कई परिवार उजड़ गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपये तथा घायलों को पचास हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। हिमाचल में भूस्खलन से जुड़े हादसे कोई नए नहीं, लेकिन बिलासपुर की यह त्रासदी फिर याद दिला गई किन्नौर के निगुलसरी और मंडी के कोटरूपी जैसे दर्दनाक हादसों की, जब चलती बसें मलबे की चपेट में आकर दर्जनों यात्रियों की जान ले गई थीं। भले ही राहत-बचाव कार्य जारी है, लेकिन बिलासपुर का यह हादसा प्रदेश के इतिहास में एक और दिल दहला देने वाली त्रासदी बन गया है, जिसने कई घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझा दिए।

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