शरद पूर्णिमा पूजा विधि, मुहूर्त, व्रत कथा, मंत्र, आरती, महत्व और खीर रखने का समय सारी जानकारी पाएं यहां

धर्म { गहरी खोज } : पंचांग अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर 2025, सोमवार को मनाई जा रही है। इसे आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कोजागरा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात का चांद बाकी पूर्णिमा की रात के चांद से ज्यादा चमकदार होता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाएं दिखाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इसी रात को वृंदावन में प्रेम और नृत्य के संगम महा-रास को रचा था। चलिए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजा विधि, मुहूर्त, कथा, आरती और खीर रखने का समय।
शरद पूर्णिमा 2025 पर खीर रखने का समय
शरद पूर्णिमा के दिन खीर रखने का समय 6 अक्टूबर 2025 की रात 10:46 बजे से शुरू होगा। खीर को पूरी रात के लिए चांद की रोशनी के नीचे छोड़ दें। फिर सुबह-सुबह इस खीर का सेवन करें।
शरद पूर्णिमा पर चांद निकलने का समय
शरद पूर्णिमा पर चांद निकलने का समय शाम 05:35 का है।
शरद पूर्णिमा 2025 मुहूर्त
अमृत – सर्वोत्तम – 06:28 ए एम से 07:56 ए एम
शुभ – उत्तम ृ- 09:23 ए एम से 10:51 ए एम
लाभ – उन्नति – 03:14 पी एम से 04:41 पी एमवार वेला
अमृत – सर्वोत्तम- 04:41 पी एम से 06:09 पी एम
लाभ – उन्नति – 10:46 पी एम से 12:19 ए एम, अक्टूबर 07काल रात्रि
शुभ – उत्तम – 01:51 ए एम से 03:24 ए एम, अक्टूबर 07
अमृत – सर्वोत्तम – 03:24 ए एम से 04:56 ए एम, अक्टूबर 07
शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे रखें
सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें। सुबह और शाम में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूजा करें। व्रत कथा सुनें और आरती करें। पूरे दिन व्रत रहें। इस व्रत में फलाहार का सेवन कर सकते हैं। रात में चांद की पूजा करें और अर्घ्य अर्पित करें। फिर चांद की रोशनी के नीचे रात भर के लिए खीर रखकर छोड़ दें और सुबह के समय इस खीर को ग्रहण कर अपना व्रत खोलें।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
- शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
- इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से पूर्व उनकी तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराया जाता है उसके बाद लाल कपड़े पर उनकी मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
- इसके बाद धूप, दीप जलाकर विधि विधान माता की पूजा की जाती है और उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं।
- इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
- भगवान को भोग लगाएं और आरती करें।
- यदि आपने इस दिन रखा है तो चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही उपवास खोलना चाहिये।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है।
- रात में चांद की रोशनी के नीचे खीर जरूर रखें।
शरद पूर्णिमा की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।