संत ईश्वर फाउंडेशन का विशिष्ट सेवा सम्मान, 12 को सेवा सम्मान : कपिल खन्ना

0
d3d055ac833978a0a3dc324cc9f964a9

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: संत ईश्वर फाउंडेशन रविवार को इस वर्ष महाकुंभ में उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘नेत्र कुंभ’ और भारतीय सेना महिला कल्याण संघ ‘आवा’ सहित 6 अन्य को विशिष्ट सेवा सम्मान और 12 लोगों को सेवा सम्मान से सम्मानित करेगा।
दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शनिवार को विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष एवं संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने बताया कि सेवा के लिए समर्पित लोगों को बिना किसी नामांकन प्रक्रिया के चुना जाता है और यह सम्मान एक दशक पुराने संकल्प का परिणाम है। इस साल के प्रोग्राम के बाद इस अवार्ड के जरिए देश के 151 सेवा साधकों को सम्मानित कर दिया जाएगा और लगभग तीन करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी जा चुकी होगी। यह सम्मान समाज सेवा की चार श्रेणियों महिला एवं बाल विकास, वनवासी कल्याण, कृषि सेवा और विशेष योगदान के लिए दिया जाता है। हर श्रेणी में एक विशिष्ट सेवा सम्मान भी प्रदान किया जाता है।
कपिल खन्ना ने कहा कि संत ईश्वर फाउंडेशन का उद्देश्य है कि उन सच्चे सेवा साधकों को ढूंढा जाए जो बिना प्रचार-प्रसार के समाज की निस्वार्थ सेवा में जुटे हैं। यही कारण है कि इस सम्मान के लिए कोई नामांकन प्रक्रिया नहीं रखी गई है। चयन समिति स्वयं देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर ऐसे लोगों की खोज करती है। चयन के बाद निर्णायक मंडल उनके कार्यस्थल पर जाकर मूल्यांकन करता है और फिर सम्मान की घोषणा की जाती है।
कर्नाटक के यादगीर से आए देवेन्द्रप्पा को भी कृषि क्षेत्र में अनेकों जैविक प्रकार के धान उपजाने के लिए इस विशिष्ट सेवा सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से बात करते हुए कहा कि उनके खेतों में प्रति एकड़ 1.5 लाख रुपये तक की आमदनी होती है, जिसमें 50,000 रुपये खर्च होता है और लगभग 1 लाख रुपये शुद्ध लाभ बचता है। इसके विपरीत पारंपरिक धान में 30 से 40 हजार रुपये प्रति एकड़ की आय होती है। उनका उद्देश्य लोगों को रासायनिक कृषि से मुक्त करना और औषधीय धानों की ओर वापस ले जाना है।
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से आने वाली निधि त्रिपाठी को ग्रामीण कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया जाएगा। निधि ने बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्र में जल संरक्षण, वृक्षारोपण, गौपालन और जैविक खाद निर्माण से अपनी कृषि यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने कृषि के पांच मुख्य घटक जल, वायु, ताप, उर्वरक और उत्पादन को संतुलित कर सम्पूर्ण कृषि प्रणाली विकसित की है।
निधि ने कहा कि उनके द्वारा तैयार की गई जैविक खाद, जैसे ‘शिवांश खाद’, ‘धन जीवामृत’ और ‘जीवामृत’, किसानों को रासायनिक उर्वरकों से मुक्ति दिला रही हैं। उनका मानना है कि जब तक खेतों में पोषण युक्त उत्पादन नहीं होगा और रसायनयुक्त कृषि पर रोक नहीं लगेगी, तब तक भारत की कृषि पूर्ण नहीं मानी जा सकती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *