समाज के भीतर सेवा, दान की परंपरा उसकी सबसे बड़ी शक्ति : बिरला

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जयपुर{ गहरी खोज }: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि समाज के भीतर सेवा और दान की परंपरा उसकी सबसे बड़ी शक्ति है और यही भविष्य को नई दिशा देती है।
श्री बिरला ने यहां शुक्रवार को राष्ट्रीय नाई महासभा द्वारा आयोजित प्रतिभा एवं भामाशाह सम्मान समारोह में कहा कि सेन समाज ने हमेशा सेवा, श्रम और समर्पण को सर्वोच्च धर्म मानते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है। यह समाज शिक्षा, कौशल और संस्कारों के माध्यम से आज भी नई पीढ़ी को प्रेरणा दे रहा है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल व्यक्तियों का नहीं, बल्कि पूरी संस्कृति और सामूहिक मूल्यों का सम्मान है। समाज के भीतर सेवा और दान की परंपरा उसकी सबसे बड़ी शक्ति है और यही भविष्य को नई दिशा देती है।
उन्होंने कहा कि सेनजी महाराज ने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि श्रम ही सर्वोच्च पूजा है और सेवा ही सबसे बड़ा धर्म। वहीं, नारायणी माता आस्था और विश्वास की आधारशिला हैं, जिनके आशीर्वाद से समाज ने अपनी परंपराओं और संस्कारों को सदियों से जीवित रखा है। यही कारण है कि यह समाज हर दौर में चुनौतियों का सामना करते हुए राष्ट्र की सेवा में आगे रहा है।
लोकसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रीय नाई महासभा की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि संगठन पूरे देश में रक्तदान शिविर, चिकित्सा सेवाएँ, नशा मुक्ति अभियान और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। छात्रवृत्ति, कोचिंग और करियर मार्गदर्शन जैसी योजनाएँ युवाओं को नई राह दे रही हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रतिभाएं मंच पर सम्मानित होती हैं तो उनमें नई ऊर्जा और आत्मविश्वास जागता है, जो समाज को नई ऊँचाइयों तक ले जाता है।
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सेनजी महाराज के आदर्शों और नारायणी माता की शिक्षाओं को जीवन का हिस्सा बनाएं। शिक्षा, कौशल और तकनीक को अपनाकर आत्मनिर्भर बनें और सेवा की परंपरा को आगे बढ़ाएँ। उन्होंने कहा कि जब समाज का हर युवा सक्षम और आत्मनिर्भर होगा, तभी सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण संभव होगा।

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