मुख्यमंत्री मान की मांगें

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संपादकीय { गहरी खोज }: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ उनके दिल्ली निवास पर मुलाकात कर पंजाब में आई भीषण बाढ़ के कारण हुई तबाही के बारे जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित राज्य को दी गई 1600 करोड़ की आर्थिक सहायता अपर्याप्त है। शाह के आवास पर बैठक के बाद मान ने पत्रकारों से कहा, ‘अब तक 13,800 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है, लेकिन यह बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।’ मान ने विस्तृत विवरण देते हुए बताया कि 4.8 लाख एकड़ से ज्यादा फसलें नष्ट हो गईं, 17000 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हुए, 2.5 लाख से ज्यादा पशु प्रभावित हुए, 4657 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें, 485 पुल, 1417 पुलिया और 190 मंडियों समेत प्रमुख बुनियादी ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ। उन्होंने तर्क दिया कि एसडीआरएफ / एनडीआरएफ की मौजूदा फसल मुआवजा दरें अपर्याप्त हैं। उन्होंने मुआवजा 6800 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रति एकड़ करने का प्रस्ताव रखा। मुख्यमंत्री ने ‘पंजाब रूरल डेवलपमेंट और मार्केट फीस’ के तहत राज्य के बकाया 11,297 करोड़ रुपये का मुद्दा भी उठाया। मान ने पंजाब के किसानों, बुनियादी ढांचे और खाद्य सुरक्षा की रक्षा के लिए धनराशि और नीतिगत उपायों को शीघ्र जारी करने का आग्रह करते हुए कहा कि देरी से राज्य की स्थिति और खराब हो सकती है।
गौरतलब है कि बाढ़ के कारण पंजाब के 2600 से अधिक गांवों के 20 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। मुख्यमंत्री मान ने केंद्रीय गृहमंत्री शाह से क्षतिग्रस्त ढह चुके घरों के लिए मुआवजा 2.40 लाख रुपए करने की मांग। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए 50 हजार, कच्चे मकानों के लिए मुआवजा 10 हजार रुपये किया जाए। पशुओं के बाड़ों के लिए मुआवजा 3000 से बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाए। सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को बाढ़ से बचाने के लिए बजट की आवश्यकता है। बीएसएफ द्वारा संचालित सीमा चौकियों को बाढ़ का खतरा है। इन्हें तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है। 175.96 करोड़ रुपए की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बजट जारी करने के लिए सीडब्ल्यूसी और एनडीएमए को सौंपी गई थी। आवश्यक धन मांगा। आरडीएफ और मंडी शुल्क के 11297 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान मांगा। आढ़तियों का कमीशन कम करने का मुद्दा भी उठाया। पंजाब में आढ़तियों का कमीशन एमएसपी के 2.5 प्रतिशत के हिसाब से देय है। पंजाब से पीईजी स्कीम के तहत चावल की ढुलाई और कवर्ड गोदामों के निर्माण का मुद्दा उठा उठाया। लेवल क्रॉसिंग नंबर 62-ए, राजपुरा-बठिंडा लाइन, धूरी, संगरूर पर प्रस्तावित रेलवे ओवरब्रिज के लिए जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग को तत्काल मंजूरी देने के लिए गृह मंत्री के हस्तक्षेप की मांग की। राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तार को संभव सीमा तक सीमा की ओर स्थानांतरित करने में सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री भगवंत मान की बातों को
सुनने के बाद शाह ने उन्हें बताया कि एसडीआरएफ में राज्य के पास 12,589.59 करोड़ रुपये की पर्याप्त धनराशि है। इसका उपयोग भारत सरकार के मानदंडों के अनुसार प्रभावित लोगों को राहत और तत्काल पुनर्वास के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो 1600 करोड़ की राहत राशि घोषित की थी, उसमें से 805 करोड़ रुपये (एनएचएआई द्वारा स्वीकृत 170 करोड़ सहित) विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत राज्य सरकार/लाभार्थियों को पहले ही जारी किए जा चुके हैं। शेष राशि राज्य से प्रासंगिक जानकारी प्राप्त होने पर जारी की जाएगी।
पंजाब में आई बाढ़ के कारण जान-माल की हुई तबाही को देखते हुए केंद्र सरकार को लचीला रुख अपनाना चाहिए। पंजाब सरकार अपने स्तर पर जो बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए हो सकता है वह कर रही है। बाढ़ प्रभावितों के लिए गैर सरकारी संगठन, धार्मिक तथा सामाजिक संगठन भी अपने-अपने स्तर पर राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। मीडिया घराने भी बाढ़ प्रभावितों के लिए धन राशि एकत्रित कर रहे हैं। इन सब प्रयासों के बावजूद भी बाढ़ के कारण जो 2000 से अधिक गांवों को क्षति हुई है वह पूरी नहीं हो सकती।
अमित शाह ने पंजाब के साथ खड़े होने की बात कही है। साथ में 12000 करोड से अधिक आपदा राशि के उपयोग करने की सलाह पंजाब सरकार को दी है। गौरतलब है कि उपरोक्त राशि को लेकर पंजाब के विपक्षी दल पहले ही मान सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। गृहमंत्री शाह द्वारा कही बात को लेकर पंजाब सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
पंजाब आज संकट में है। पंजाबी स्वयं अपने स्तर पर जो संभव मदद प्रभावित परिवारों के लिए कर सकते हैं वह कर रहे हैं लेकिन पंजाब व केंद्र सरकार को भी राजनीति से ऊपर उठकर इस संकट की घड़ी में मिलकर राहत कार्य करने चाहिए। आपदा राहत राशि के इस्तेमाल को लेकर भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। तकनीकी आवश्यकताएं बाद में पूरी हो सकती हैं, अभी तो प्राथमिकता राहत कार्यों पर ही होनी चाहिए।

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