पत्रकार राजीव प्रताप की मौत नशे की हालत में सड़क दुर्घटना का नतीजा

उत्तरकाशी{ गहरी खोज }:डिजिटल पत्रकार राजीव प्रताप की मौत की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) ने इसे नशे की हालत में हुई सड़क दुर्घटना करार दिया है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। प्रताप (36), देहरादून निवासी थे और उत्तरकाशी में रह रहे थे। वह 18 सितंबर की रात लापता हो गए थे और लगभग 10 दिन बाद, 28 सितंबर को उनका शव जोशियाड़ा बैराज से बरामद हुआ।
एसआईटी प्रमुख उपाधीक्षक पुलिस जनक पंवार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और करीबियों के बयानों की समीक्षा के बाद प्रारंभिक निष्कर्ष निकाला गया कि यह एक सड़क हादसा है। हालांकि, अन्य पहलुओं की जांच भी की जा रही है।
पंवार ने कहा कि 18 सितंबर की रात प्रताप अपने पूर्व छात्र और कैमरामैन मनबीर कालूड़ा के साथ पुलिस लाइन में तैनात मुख्य आरक्षी सोबन सिंह से मिले। तीनों बाजार और टैक्सी स्टैंड गए, जहां रात 10 बजे तक शराब पी। बाद में होटल जाकर शराब खरीदी और भोजन किया।
सीसीटीवी में प्रताप को रात 11 बजे होटल से लड़खड़ाते हुए बाहर निकलते देखा गया। कुछ देर बाद सोबन भी होटल से बाहर निकले और दोनों कार में बैठे। थोड़ी दूरी पर सोबन उतर गए और प्रताप ने खुद ड्राइविंग शुरू कर दी। फुटेज में वाहन को बद्री तिराहा और टेखला पुल पार करते हुए देखा गया, आखिरी बार यह रात 11.38 बजे गंगोड़ी की ओर जाते हुए कैद हुआ।
सोबन ने पुलिस को बताया कि उन्होंने प्रताप को गाड़ी चलाने से रोका था क्योंकि वह नशे में थे और कम ही गाड़ी चलाते थे। लेकिन प्रताप ने कहा, “मैं थोड़ी दूर जाकर गाड़ी घुमाकर लौट आऊंगा।” सोबन ने थोड़ी दूर पैदल पीछा किया लेकिन प्रताप नजर न आने पर लौट गए।
पुलिस को संदेह है कि गाड़ी गंगोड़ी के पास बेकाबू होकर भागीरथी नदी में गिर गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इसे समर्थन देती है। तकनीकी जांच में वाहन का इग्निशन ऑन मिला, चाबी अंदर थी और सभी दरवाजे खिड़कियां बंद थीं। इससे बाहरी साजिश की संभावना कम मानी जा रही है। कार से सिर्फ एक नीली चप्पल मिली, अन्य कोई अहम सबूत नहीं मिला। हालांकि, प्रताप के परिवार और कांग्रेस पार्टी ने मौत पर संदेह जताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे “दुखद और भयावह” बताते हुए आरोप लगाया कि ईमानदार पत्रकारिता बीजेपी शासन में डर के साए में जी रही है। प्रताप के पिता मुरारी लाल और परिवार ने भी दावा किया कि उन्हें पहले से धमकियां मिल रही थीं। बढ़ते दबाव के बीच उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने एसआईटी का गठन किया। पंवार ने दोहराया कि घटना हादसा प्रतीत होती है, लेकिन सभी पहलुओं की जांच जारी है।