राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री संघ की 100 वर्षों की यात्रा त्याग

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शताब्दी वर्षगांठ पर बुधवार को आयोजित विशेष समारोह को संबोधित करते हुए संघ की 100 वर्षों की यात्रा को त्याग, निःस्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण की अद्भुत मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि विजयादशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और इसी दिन 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “संघ की स्थापना कोई संयोग नहीं था बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा के पुनरुत्थान का संगठित प्रयास था। यह राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार था।” प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों को नवरात्रि और विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पीढ़ी सौभाग्यशाली है, जिसे संघ के शताब्दी वर्ष जैसे महान अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार ने 100 रुपये का स्मारक सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी किया। सिक्के पर एक ओर राष्ट्रीय चिन्ह तथा दूसरी ओर भारत माता की भव्य छवि अंकित की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर अंकित की गई है। डाक टिकट में वर्ष 1963 का वह क्षण दर्शाया गया है, जब संघ के स्वयंसेवक पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ ने अपने कार्यकर्ताओं के अनुशासन और समर्पण भाव से समाज के हर आयाम को स्पर्श किया है। उन्होंने कहा, “कृषि, विज्ञान, आदिवासी कल्याण, महिला सशक्तिकरण, समाज सेवा या श्रमिक हित- संघ की धारा हर क्षेत्र में प्रवाहित होती रही है। संघ का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण है और उसकी कार्यपद्धति में नित्य शाखा इसका आधार है।”
उन्होंने सभी स्वयंसेवकों और उनके परिवारों को स्मरण करते हुए कहा कि लाखों कार्यकर्ताओं ने राष्ट्र सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। प्रधानमंत्री ने परम पूजनीय डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके विचारों और संकल्प ने भारत को एक नए युग की ओर अग्रसर किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में हमें राष्ट्र सेवा का संकल्प और मजबूत करना चाहिए। उन्होंने सभी देशवासियों से आह्वान किया कि वे समाज और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए आगे बढ़ें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इस अवसर पर कहा कि विजयादशमी का संघ की यात्रा में विशेष महत्व है, क्योंकि यही दिन संगठन की स्थापना का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि कल विजयादशमी पर संघ अपने 101वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और आने वाला समय राष्ट्र निर्माण की दिशा में और भी महत्वपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा कि संघ का कार्य किसी से प्रतिस्पर्धा या उत्तर देने के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए है। समाज जीवन के हर क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवक सक्रिय हैं और राष्ट्रभक्ति, सेवा व अनुशासन के प्रबल प्रतीक के रूप में काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि नागपुर में डॉ. हेडगेवार द्वारा प्रारंभ की गई यह यात्रा आज विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक-सामाजिक संगठन बन चुकी है। शेखावत ने कहा कि संघ ने व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण और समाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मंत्र देकर भारत को नई दिशा प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि “समाज के हर क्षेत्र में संघ ने कार्य किया है। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर सामाजिक सरोकारों तक, संघ के स्वयंसेवक हमेशा अग्रिम पंक्ति में दिखाई देते हैं। अनुशासन और एकता के साथ समाज को जोड़ने का काम संघ ने निरंतर किया है।”
उल्लेखनीय है कि संघ की स्थापना साल 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में हुई थी। तब से लेकर आज तक संघ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहा है और स्वयंसेवकों की सेवा भावना ने इसे विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बना दिया है।