हर 10 में से 1 महिला को है पीसीओएस की बीमारी, जान लें PCOS होने पर शरीर में क्या लक्षण दिखते हैं

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। PCOS गर्भधारण के समय पाए जाने वाले सबसे आम हार्मोनल विकारों में से एक है, फिर भी यह अक्सर गलत समझा जाता है। इसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता है। जबकि PCOS सिर्फ गर्भधारण ही नहीं रोज की दिनचर्या में भी कई मुश्किलें पैदा करने वाली कंडीशन हो सकती है। दुनिया भर में हर 10 में से 1 महिला पीसीओएस से प्रभावित हो सकती है। खासतौर से भारत में बड़ी संख्या में युवतियों को पीसीओएस की दिक्कत है। आइये डॉक्टर से जानते हैं महिलाओं में पीसीओएस होने के लक्षण क्या हैं और इसे कैसे रोकें?
PCOS क्या है?
डॉ. आस्था गुप्ता (सीनियर आईवीएफ कंसल्टेंट और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, महिला रोग विशेषज्ञ, दिल्ली IVF, नई दिल्ली) ने बताया कि PCOS एक कॉम्प्लक्स हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसमें अंडाशय (Ovaries) अधिक मात्रा में एंड्रोजन या पुरुष हार्मोन का उत्पादन करती हैं, जिससे कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
अनियमित मासिक धर्म
गर्भधारण में कठिनाई
वजन बढ़ना
मुंहासे
चेहरे या शरीर पर अत्यधिक बाल
अल्ट्रासाउंड जांच में, महिलाओं के अंडाशय में कई छोटे-छोटे सिस्ट (गांठें) देखे जा सकते हैं, लेकिन केवल सिस्ट होवा PCOS को ट्रीट करने के लिए काफी नहीं है। इसकी सटीक वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह अक्सर इंसुलिन रेसिस्टेंस, जीवनशैली और आनुवंशिकी से जुड़ी होती है। समय रहते इसकी पहचान और मैनेज करना बेहद जरूरी है। क्योंकि यह केवल प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्या नहीं है बल्कि जीवनभर महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
यदि PCOS का इलाज न हो तो क्या हो सकता है?
PCOS को नजरअंदाज करने या सही तरीके से प्रबंधित न करने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे-
बांझपन- अनियमित ओव्यूलेशन के कारण यह महिलाओं में प्रेगनेंसी न होने का प्रमुख कारण बन सकता है।
मेटाबॉलिक विकार- पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन रेसिस्टेंस, टाइप 2 डायबिटीज और मोटापा होने का खतरा अधिक रहता है।
हार्ट की बीमारियों का खतरा- उच्च कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों की आशंका अधिक होती है।
एंडोमेट्रियल कैंसर- ओव्यूलेशन की नियमितता न होने पर गर्भाशय की परत मोटी हो सकती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य- हार्मोनल असंतुलन और लक्षणों के कारण डिप्रेशन, एंग्जायटी और आत्म-छवि से जुड़ी समस्याएं आम हैं।
रोकथाम और जीवनशैली में बदलाव
हेल्दी वजन रखें- केवल 5–10% वजन कम करने से ओव्यूलेशन बेहतर होता है, पीरियड नियमित होते हैं और इंसुलिन रेसिस्टेंस में सुधार होता है।
हेल्दी खाना खाएं- साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, फल, सब्जियां और हेल्दी फैट से युक्त आहार ब्लड शुगर को नियंत्रित करने और लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
नियमित व्यायाम करें- शारीरिक गतिविधि से इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है, तनाव कम होता है और वजन नियंत्रित रहता है।
तनाव कम करें- इसके लिए योग, ध्यान और पर्याप्त नींद हार्मोन बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं।
यदि ये आदतें समय रहते अपनाई जाएं, तो PCOS की गंभीर जटिलताओं को टाला या देर से आने दिया जा सकता है।
पीसीओएस को पूरी तरह कैसे ठीक करें?
PCOS का इलाज तो संभव है लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। डॉक्टर हर किसी की केस स्टडी करके ही इलाज करते हैं। जिसमें महिला की व्यक्तिगत समस्याओं जैसे पीरियड नियमित करना, गर्भधारण में मदद करना या मेटाबॉलिक जोखिम को कम करना शामिल है। इलाज की पहली सीढ़ी वजन कंट्रोल करना और लाइफस्टाइल में सुधार लाने से शुरू होती है। बर्थ कंट्रोल पिल्स पीरियड को नियमित करने और मुंहासे, हेयर ग्रोथ को कम करने में मदद करती हैं। मेटफॉर्मिन जैसी दवाएं इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करने में कारगर हैं। प्रेगनेंसी के लिए ओव्यूलेशन बढ़ाने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं। जब दवाओं से असर नहीं होता तो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स जैसे IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) किया जा सकता है।