एआई के दौर में हमें सांस्कृतिक विविधता को बचाना होगा : शेखावत

- बार्सिलोना में मोंडियाकल्ट 2025 में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने रखा भारत का मजबूत पक्ष
जोधपुर{ गहरी खोज }: बार्सिलोना में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मोंडियाकल्ट 2025 में दुनिया के कई देशों के संस्कृति मंत्री और विशेषज्ञ शामिल हुए। सम्मेलन में भारत की ओर से केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने हिस्सा लिया।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने जापान, ऑस्ट्रेलिया और कांगो के मंत्रियों व सचिवों के साथ सांस्कृतिक अधिकारों एवं सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था पर चर्चा की। शेखावत ने कहा कि नई तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस दौर में हमें सांस्कृतिक विविधता को बचाना होगा। संस्कृति को लोगों से जोडऩे और हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए नीतियों एवं कानूनों को मजबूत बनाने की जरूरत है। शेखावत ने जोर दिया कि तकनीक और एआई को कलाकारों एवं समुदायों को सशक्त बनाने के औजार के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, न कि संस्कृति को कमजोर करने के लिए।
शेखावत ने स्पेन के संस्कृति मंत्री एर्नेस्ट उर्तासुन से द्विपक्षीय मुलाकात की। इस दौरान भारत और स्पेन के बीच बड़ा समझौता हुआ। दोनों देशों ने वर्ष 2024–28 सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए और वर्ष 2026 को भारत-स्पेन संयुक्त सांस्कृतिक वर्ष घोषित किया। शेखावत ने विश्वास जताया कि यह पहल भारत-स्पेन सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। दोनों देशों को सांस्कृतिक कूटनीति के वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगी।
केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत और स्पेन के बीच यह पहल न केवल सांस्कृतिक रिश्तों को नई ऊर्जा देगी बल्कि धरोहर संरक्षण, रचनात्मकता और नवाचार को भी मजबूती प्रदान करेगी। मुझे विश्वास है कि यह कदम एक स्थायी विरासत छोड़ेगा, परस्पर समझ को गहरा करेगा और भारत–स्पेन को सांस्कृतिक कूटनीति में वैश्विक अग्रणी बनाएगा।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सर्बिया के संस्कृति मंत्री निकोला सेलाकोविच के साथ भी सार्थक चर्चा की। दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग को मजबूत करने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन के दौरान शेखावत ने विश्व प्रसिद्ध कला क्यूरेटर अमीन जाफर से मुलाकात की, जिनकी जड़ें कच्छ (गुजरात) से जुड़ी हैं। शेखावत ने कहा कि अमीन जाफर की यात्रा इस बात का उदाहरण है कि भारत की धरोहर पूरे विश्व से सहज रूप से जुड़ती है।