हवा में फिर घुलने वाला है पराली का ज़हर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस से कैसे होगा बचाव: स्वामी रामदेव

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: अभी भले हवा साफ और हल्की लग रही है, लेकिन अक्टूबर आते ही हवा बदलने लगेगी। क्योंकि पराली का मौसम शुरू होने वाला है और रिपोर्ट कह रही है कि एक बार फिर जहरीली हवा दिल्लीवालों को बीमार बनाने वाली है। आंकड़े तो यही बता रहे हैं इस साल जनवरी से सितंबर तक दिल्ली में 75 दिन हवा ‘सैटिस्फैक्ट्री’ रही, पिछले 9 सालों में पहली बार AQI औसतन AQI 135 रहा। अभी तक भले ही एक भी दिन ‘सीवियर’ कैटेगरी में नहीं गया, लेकिन असली इम्तिहान अक्टूबर से शुरू होगा। पंजाब में सितंबर से ही पराली जलाने के मामले दर्ज हो चुके हैं। मौसम विभाग साफ चेतावनी दे चुका है अक्टूबर-नवंबर में हालात बिगड़ सकते हैं। मतलब आज सांस लेना आसान है, लेकिन कल यही सांस गले में अटक सकती है।
एम्स की प्रदूषण पर रिपोर्ट
जहरीली हवा का मतलब है फेफड़ों में जहर। AIIMS और WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मॉग से सांस की तकलीफ, बच्चों और बुज़ुर्गों में अस्थमा अटैक, खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और लंबे वक्त में ब्रॉन्काइटिस, COPD और दिल की बीमारियों का खतरा। इतना ही नहीं ये प्रदूषण लंग कैंसर के खतरे को भी बढ़ा रहा है। ऐसे में हवा को साफ रखने के लिए हमें और सरकार को मिलकर कदम उठाने चाहिए। साथ ही प्रदूषण के असर से बचने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। स्वामी रामदेव से जानते हैं सांस की बीमारियों से कैसे बचाव करें और प्रदूषण की मार से निपटने के लिए अपने फेफड़ों को कैसे तैयार करें?
जहरीली हवा और प्रदूषण से कैसे बचें?
हवा में छोटे-छोटे कण होते हैं जो सांस से लंग्स में, लंग्स से ब्लड में और ब्लड से पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इससे गंभीर बीमारी का खतरा होता है। लंग्स, आंख, ब्रेन पर असर पड़ता है। इसके लिए फेफड़ों को मजबूत बनाने की जरूरत है। रोजाना योगाभ्यास करें। सांस वाले व्यायाम करें। 100 ग्राम बादाम, 20 ग्राम काली मिर्च, 50 ग्राम शक्कर मिलाकर रख लें। इस पाउडर को रोज रात में 1 चम्मच दूध के साथ लें। इसके अलावा श्वासारि क्वाथ पीएं, मुलेठी उबालकर पीएं और मसाला टी भी फायदेमंद है। इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए गिलोय-तुलसी काढ़ा पीएं। रोजाना रात में हल्दी वाला दूध पीएं, मौसमी फल खाएं, खाने में बादाम-अखरोट जरूर शामिल करें।