विश्व पर्यटन दिवस पर आर्थिक विकास और पर्यटन में सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने पर रहा जोर

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: पर्यटन मंत्रालय ने शनिवार को विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटन और सतत परिवर्तन विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। सुषमा स्वराज भवन में आयोजित कार्यक्रम में उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के प्रतिनिधि एक साथ आए और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक विकास और पर्यटन में सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यटन केवल छुट्टी मनाने का साधन नहीं है बल्कि यह आर्थिक परिवर्तन, पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक समावेशन का सशक्त उपकरण है। भारत में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है, बशर्ते कि सतत विकास रणनीति का मुख्य आधार बने। बेहतर कनेक्टिविटी (सड़क, रेल, हवाई और जलमार्ग) एवं सार्वजनिक-निजी सहयोग आवश्यक हैं। इस मौके पर मौजूद पर्यटन राज्यमंत्री सुरेश गोपी ने कहा कि स्वदेश दर्शन 2.0 और प्रसाद योजना जैसे कार्यक्रम सतत और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। हवाई अड्डों, राजमार्गों, रेल और जलमार्गों में निवेश से यात्रियों को निर्बाध यात्रा अनुभव मिल रहा है।
उड़ान योजना और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी से पर्यटन स्थलों तक पहुंच आसान हो रही है। इस अवसर पर पर्यटन मंत्रालय ने कई करार किए गए। भारतीय स्थलों को सिनेमाई कथानक के माध्यम से वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए नेफिल्क्स के साथ करार किया गया। अतिथि फाउंडेशन और प्रमुख ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसियों के साथ अनुसंधान, नवाचार और डेटा आधारित नीति निर्माण के लिए करार किया गया। इसके साथ 66वां भारत पर्यटन सांख्यिकी संकलन जारी किया गया जिसमें अंतरराष्ट्रीय व घरेलू आगमन, रोजगार सृजन और आर्थिक योगदान में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान “मुद्रा लोन गाइड फॉर होमस्टे” पुस्तिका जारी की गई जिसमें जनसमर्थ पोर्टल के माध्यम से ऋण आवेदन की चरणबद्ध जानकारी दी गई।