मणिपुर की हिंसा, वांगचुक की गिरफ्तारी और कन्हैयालाल हत्याकांड पर केंद्र सरकार को घेरा

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उदयपुर{ गहरी खोज }: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को डबोक हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत में केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। वे एक कार्यक्रम के तहत उदयपुर आए थे। उन्होंने कहा कि मणिपुर में ढाई साल से हिंसा का दौर चल रहा है, लेकिन गृह मंत्रालय समय रहते संवाद स्थापित कर हालात नहीं संभाल पाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में मणिपुर गए, फिर भी हिंसा भड़क उठी। गहलोत ने कहा कि यह पहली बार है जब इतने लंबे समय तक हालात बिगड़े और खून-खराबा हुआ, जो देशहित में कतई उचित नहीं है।
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर भी गहलोत ने केंद्र को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि वांगचुक लंबे समय से अपनी मांगों को शांति से उठा रहे थे और खुद पीएम मोदी के समर्थक भी रहे हैं। अचानक उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर जेल भेज दिया गया, वह भी सीधे जोधपुर जेल। आखिर कौन से ऐसे आतंकवादी थे कि उन्हें लद्दाख से सैकड़ों किलोमीटर दूर राजस्थान की जेल भेजना पड़ा?
जेलों में सीसीटीवी मॉनिटरिंग और सुरक्षा व्यवस्था पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर जेलों में मोबाइल मिल रहे हैं और गैंगस्टर ऑपरेट कर रहे हैं तो यह गृह मंत्रालय की नाकामी है। बॉर्डर इलाकों में भाईचारा और शांति रहनी चाहिए, हिंसा का माहौल देशहित के लिए घातक है।
कांग्रेस में मेवाराम जैन की वापसी पर गहलोत ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति की अनुशंसा और व्यापक रायशुमारी के बाद ही यह फैसला किया गया है।
कन्हैयालाल साहू हत्याकांड की जांच में हो रही देरी को लेकर गहलोत ने फिर सवाल उठाए और कहा कि एनआईए ने केस लेकर भी तीन साल में कोई ठोस नतीजा नहीं दिया, जबकि यह केस राज्य सरकार के पास होता तो छह माह में फैसला हो जाता। 166 गवाहों में से अब तक महज 15-16 के ही बयान हुए हैं, यहां तक कि पीड़ित परिवार के बेटों के बयान भी अधूरे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने आरोप लगाया कि जयपुर से डॉक्टर भेजकर जिस गवाह का इलाज कराया गया था, वह अब पूरी तरह बयान देने की स्थिति में है, फिर भी उसका बयान दर्ज नहीं हो रहा है। बार-बार यह मुद्दा गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के सामने उठाने के बावजूद चुप्पी साध ली गई है।
आखिर तीन साल से जांच अटकी क्यों है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर कुछ क्यों नहीं कह रहे।
साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान पीड़ित परिवार को मुआवजे के नाम पर भ्रामक प्रचार किया गया। कन्हैयालाल के परिवार को केवल पांच लाख रुपये मिलने की झूठी बात फैलाकर पचास लाख की तुलना की गई, जबकि वास्तविकता यह है कि 51 लाख रुपये दिए गए। इसी झूठे कैंपेन से जनता गुमराह हुई और चुनाव परिणाम प्रभावित हुए।
गहलोत ने फिर दोहराया कि हत्या करने वाले दोनों आरोपित भाजपा कार्यकर्ता थे, यह साबित हो चुका है। शायद यही कारण है कि सजा दिलाने में देरी हो रही है ताकि पार्टी की बदनामी न हो। राजस्थान की जनता अब इस झूठ को पहचान चुकी है और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि देश को कांग्रेस की विचारधारा की जरूरत है। संगठन तभी मजबूत होगा जब छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ता और नेता मतभेद भुलाकर एकजुट होंगे।

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