देशभर के होटलों पर सख्त हुआ टैक्स डिपार्टमेंट, कर चोरी के आरोप में जारी हुआ जीएसटी नोटिस

नयी दिल्ली { गहरी खोज } : देश भर के होटलों को रेस्तरां सेवाओं पर कम जीएसटी चुकाने के लिए नोटिस मिले हैं। इन नोटिसों में हजारों करोड़ रुपये की मांग की गई है, क्योंकि अधिकारियों ने कथित तौर पर टैक्स चोरी पर कार्रवाई की है, लेकिन होटल एसोसिएशन का कहना है कि यह टैक्स चोरी नहीं है, बल्कि जीएसटी नियमों में स्पष्टता की कमी के कारण हुआ है। GST नियमों के अनुसार, अगर होटल के कमरे का किराया 7500 रुपये प्रति दिन से ज्यादा है, तो रेस्तरां सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। लेकिन अगर कमरे का किराया 7500 रुपये से कम है, तो रेस्तरां सेवाओं पर केवल 5 फीसदी जीएसटी देना होता है। जिन होटलों के कमरे का किराया 7500 रुपये से ज्यादा है, उन्हें specified premises माना जाता है।
GST अधिकारियों का कहना है कि कई होटल, जिनके कमरे का किराया 7500 रुपये से ज्यादा था, फिर भी रेस्तरां सेवाओं पर 5 फीसदी जीएसटी ही चुका रहे थे, जबकि उन्हें 18 फीसदी जीएसटी देना चाहिए था। बिजनेस स्टैंडर्ड के हवाले से पुणे में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने एक होटल कंपनी को 3।63 करोड़ रुपये कम चुकाने के लिए नोटिस जारी किया। यह नोटिस साल 2020 से 2025 के बीच की अवधि के लिए था। एक अन्य होटल समूह पर अक्टूबर 2021 से जुलाई 2023 के बीच 44।9 लाख रुपये कम चुकाने का आरोप लगा। इन दोनों मामलों में सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 74 के तहत नोटिस जारी किए गए, जिसमें ब्याज और जुर्माना भी शामिल है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के हवाले से होटल उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि रेस्तरां के टैक्स को कमरे के किराए से जोड़ना गलत है। अभिषेक ए रस्तोगी कई होटल कंपनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि यह नियम संविधान के हिसाब से सही नहीं है। उनका कहना है कि जीएसटी काउंसिल का मकसद हमेशा रेस्तरां सेवाओं पर टैक्स कम करना रहा है। लेकिन रेस्तरां के टैक्स को कमरे के किराए से जोड़ने से अजीब और गलत परिणाम सामने आते हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड के हवाले से फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (FHRAI) के अध्यक्ष के। श्यामा राजू ने कहा कि इन नोटिसों से होटल उद्योग को वित्तीय परेशानी हो रही है। उनका कहना है कि यह टैक्स चोरी नहीं है, बल्कि जीएसटी नियमों में लंबे समय से चली आ रही अस्पष्टता और जानकारी की कमी का नतीजा है। कई मामलों में, अगर होटल ने एक बार भी 7500 रुपये से ज्यादा किराया लिया, तो पूरे समय के लिए 18 फीसदी जीएसटी की मांग की गई, जो कि जीएसटी लागू होने से अब तक की अवधि के लिए है। होटल मालिकों ने यह भी चिंता जताई कि इस नियम का असर उन ग्राहकों पर पड़ रहा है जो सिर्फ रेस्तरां में खाना खाने आते हैं और होटल में रुकते नहीं हैं।