गैरपरंपरागत फसलों को बढ़ावा देने से सिक्किम की बागवानी में आई विविधताः शिवराज

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल के अंतर्गत सिक्किम के बर्मीओक स्थित बागवानी महाविद्यालय के प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन और वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का वर्चुअल उद्घाटन किया। कार्यक्रम में सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, सिक्किम के कृषि मंत्री पूरन कुमार गुरुंग, कुलपति डॉ. अनुपम मिश्रा सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।
शिवराज सिंह ने कहा कि मधुमक्खीपालन, मशरूम की खेती, बांस, औषधीय पौधों की रोपण जैसी गैरपरंपरागत फसलों को बढ़ावा देने से सिक्किम की बागवानी गतिविधियों में बहुत विविधता आई है। सिक्किम एक जैविक राज्य है। केमिकल फर्टिलाइजर से दूर शुद्ध उत्पाद यहां के किसान सिक्किम ही नहीं, पूरे देश में पहुंचाने का काम कर रहे हैं। सिक्किम में खेती को आगे बढ़ाने में भारत सरकार अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। देश में जैविक उत्पादन बढ़ रहा है और यह आज की जरूरत भी है।
उन्होंने कहा कि फूलों की खेती, बांस की खेती, बागवानी में किसानों की आय में वृद्धि करने की संभावना है। इसके साथ ही चौहान ने कहा कि एक चिंता यह है कि हम कैसे जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें। केमिकल फर्टिलाइजर के अत्यधिक उपयोग के कारण अनेकों प्रकार के रोगों को हमने एक प्रकार से निमंत्रण दिया है। ये धरती केवल हमारी नहीं है बल्कि आने वाली हमारी पीढ़ियों के लिए भी है। अगर ऐसे ही केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग होता रहा तो आने वाले दिन आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत शुभ नहीं होंगे।
शिवराज सिंह ने कहा कि नवनिर्मित भवन का निर्माण 52 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। इसके निर्माण से सिक्किम के हमारे बेटे-बेटियों को बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं मिलेगी। सिक्किम अद्भुत प्रदेश है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर सिक्किम की जलवायु अद्भुत है। सिक्किम की धरती पर एवोकाडो, कीवी, बड़ी इलायची, आर्किड सहित सब्जियों में अदरक, हल्दी, टमाटर और गोभियों की व्यापक संभावनाएं हैं। शिवराज सिंह ने कृषि के विद्यार्थियों से कहा कि वे कृषि से संबंधित शिक्षा प्राप्त करने के बाद कृषि कार्यों से ही जुड़े रहें। या तो खेती करें या खेती से संबंधित स्टार्टअप्स प्रारंभ करें, नए इनोवेशन करें, नई तकनीक का इस्तेमाल करके कैसे हम खेती को और आगे बढ़ा सकते हैं इसके लिए प्रयत्न करें, क्योंकि कृषि में अपार संभावनाएं हैं। आज भी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। देश की 46 प्रतिशत आबादी को खेती ही रोजगार दे रही है।

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