पद्म भूषण पुरस्कार विजेता कन्नड़ लेखक एसएल भैरप्पा का निधन

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बैंगलोर{ गहरी खोज }:पद्म भूषण और सरस्वती सम्मान से सम्मानित लेखक एसएल भैरप्पा का बुधवार काे बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर स्थित राष्ट्रोत्थान अस्पताल में निधन हो गया। स्मृतिलोप से पीड़ित भैरप्पा मैसूर छोड़कर बैंगलोर में इलाज करा रहे थे। 20 अगस्त, 1931 को हसन जिले के चन्नारायपटना तालुका के संतेशिवरा में जन्मे, उन्होंने अपनी माध्यमिक और स्नातकोत्तर शिक्षा मैसूर में पूरी की और एमए की डिग्री में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। बाद में, उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा से अपने अंग्रेजी शोध प्रबंध सत्य और सौंदर्य के लिए डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
भैरप्पा की साहित्यिक रचनात्मकता कन्नड़ की सीमाओं को पार कर गई है और पूरे भारत में प्रसिद्ध है। उनके प्रमुख उपन्यासों में गृहभंगा, वंशवृक्ष, नेले, साक्षी, नाइ नेनु, तब्बलियु नीनाडे मगने, दातु, धर्मश्री, पर्व, भित्ती और 24 अन्य उपन्यास शामिल हैं। इनमें से कई कार्यों का हिंदी, मराठी और अंग्रेजी सहित 14 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
एनसीईआरटी में तीन दशकों तक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर रहे भैरप्पा ने साहित्यिक आलोचना, सौंदर्यशास्त्र और संस्कृति पर पाँच कृतियां प्रकाशित कीं। उनके साहित्य पर कई शोध पत्र लिखे गए हैं।
भैरप्पा, जो भारतीय और पश्चिमी संगीत, चित्रकला और मूर्तिकला में भी रुचि रखते थे, ने दुनिया के सभी सात महाद्वीपों की यात्रा करके अपने जीवन को समृद्ध बनाया था। देश के सांस्कृतिक क्षेत्र ने भैरप्पा के निधन पर शोक व्यक्त किया है, जिन्होंने कन्नड़ साहित्य जगत पर अमिट छाप छोड़ी।

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