प्रोसेस्ड फूड को लेकर बनी गलत धारणाएं तोड़ना जरूरी: चिराग

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि भारतीय परिवारों में प्रोसेस्ड फूड (प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ) को लेकर जो नकारात्मक धारणा बनी हुई है, वह पूरी तरह से गलत है और इसे बदलने की आवश्यकता है। अक्सर यह मान लिया जाता है कि जो भी खाद्य पदार्थ प्रसंस्कृत है, वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा, जबकि वास्तविकता यह है कि प्रसंस्करण का उद्देश्य मूल्य संवर्धन और गुणवत्ता में सुधार करना होता है।
पासवान ने मंगलवार को यहां पत्रकार वार्ता में कहा कि खाद्य प्रसंस्करण किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है और साथ ही यह पोस्ट हार्वेस्ट लॉसेज़ (फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान) को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रसंस्करण का मतलब यह नहीं कि कोई खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए खराब हो गया। आज के समय में अनेक ‘रेडी टू ईट’ और ‘रेडी टू कुक’ उत्पाद ऐसे हैं जिनकी गुणवत्ता घर में बने खाने से कम नहीं, बल्कि बेहतर है।
उन्होने कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा इस विषय पर एक पुस्तिका भी जारी की गई है, ताकि आम लोगों को सही जानकारी मिल सके और भ्रांतियों को दूर किया जा सके। जब भी कोई प्रक्रिया, विशेषकर खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी जानकारी, आम जनता तक पहुंचे तो वह वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।
पासवान ने कहा कि प्रोसेस्ड फूड को लेकर सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के संदर्भ में एक समिति बनाई गई है, जो इस पर नियम तैयार कर रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के चलते किसी पर सीधी रोक नहीं लगाई जा सकती, लेकिन गलत जानकारी के प्रसार को रोकना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जानबूझकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, जिससे आम जनता के मन में डर बैठाया जा रहा है। यदि यह गलत धारणा लोगों के मन में बनी रही तो भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावित वृद्धि पर असर पड़ेगा। मंत्रालय का प्रयास है कि सकारात्मक प्रचार और वैज्ञानिक तथ्यों के माध्यम से लोगों को सही जानकारी दी जाए।

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