राहुल गांधी के आरोप

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संपादकीय { गहरी खोज }: 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी एक अच्छे खिलाड़ी की तरह कांग्रेस की हार को स्वीकार कर आगे की सोचने की बजाये एक नकारात्मक राह पर चलते हुए आज देश के चुनाव आयोग के साथ सीधे-सीधे टकराव वाली स्थिति में आ गये हैं।

बिहार विधानसभा चुनावों से पहले वहां मतदाता सूचियों की गहन छानबीन मुद्दे को लेकर यह सड़कों पर उतर आये बात सर्वोच्च न्यायालय तक गई और देश के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही मतदाता सूचियों की गहन छानबीन को रोक नहीं सकते। हां, अगर कुछ गलत होता है तो इस पर नये सिरे से जांच के आदेश दे सकते हैं।

चुनाव आयोग ने अब सारे देश की मतदाता सूचियों की गहन छानबीन कराने के लिए आदेश दिए हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि अधिकतर राज्यों में 2002 से 2004 के बीच गहन छानबीन हुई थी। आयोग का मानना है कि गहन छानबीन में 50 प्रतिशत मतदाता को कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि उनके नाम पहले वाली सूचियों में दर्ज होंगे, शेष को घोषणा पत्र या शपथ पत्र देने की आवश्यकता होगी। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंद विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि कांग्रेस के मतदाताओं के नाम हटाने का प्रयास सुनियोजित तरीके से किया गया तथा इसमें सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ। उन्होंने कहा कि यह ‘हाइड्रोजन बम’ नहीं है और वह आगे आने वाला है। राहुल ने कहा कि आलंद विधानसभा क्षेत्र में 6018 मतदाताओं का नाम हटाने के लिए आवेदन दिए गए। उन्होंने दावा किया कि गोदाबाई महिला के नाम पर 12 लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। राहुल ने सवाल किया, ‘जिन नंबर से 12 लोगों के नाम हटाए गए, वह किनके नंबर हैं? राहुल ने कहा, ‘इस मामले की जांच कर रही कर्नाटक सीआईडी ने 18 पत्र भेजकर कुछ जानकारियां मांगी…. लेकिन यह नहीं दी गई।’ उन्होंने कहा, ‘देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जी से हमारी मांग है कि कर्नाटक की सीआईडी जो सबूत मांग रही है, आप उन्हें सात दिन के अंदर दे दीजिए। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो पूरा हिंदुस्तान मान लेगा कि आप संविधान की हत्या में शामिल हैं और वोट चोरों की रक्षा कर रहे हैं।’

राहुल गांधी के आरोपों का उत्तर देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि दो वर्ष पहले ही वह जांच कर रही राज्य सीआइडी को जानकारी दे चुका है। छह सितंबर, 2023 को ही आयोग ने आलंद की मतदाता सूची से आनलाइन नाम डिलीट करने के लिए आवेदन करने वाले का नाम, मोबाइल नंबर, रिफरेंस नंबर, इपिक नंबर, लागिन करने के लिए इस्तेमाल मोबाइल नंबर, साफ्टवेयर एप्लीकेशन मीडियम, आइपी एड्रेस, आवेदक का स्थान, तिथि, समय व यूजर आइडी बनाने की तिथि आदि सब कुछ सौंप दिया था। जांच एजेंसी की ओर से मांगे गए अन्य दस्तावेज भी मुहैया कराएं गए हैं। इस गड़बड़ी पर खुद आयोग ने ही 21 फरवरी, 2023 को पुलिस में एफआइआर दर्ज कराई थी। आयोग ने राहुल के आरोप पर पलटवार करते कहा कि किसी के वोट को न तो आनलाइन डिलीट किया जा सकता है, न ही जोड़ा जा सकता है। मतदाता सूची से नाम हटाने और जोड़ने का अधिकार सिर्फ मतदाता पंजीयन अधिकारी (ईआरओ) को होता है, जो उपजिलाधिकारी स्तर का अधिकारी होता है। वह भी पहले आवेदन की जांच करता है। उसके बाद उसे नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए समय देता है। इसके बाद ही वह कोई फैसला लेता है। राहुल का वोट डिलीट करने का आरोप गलत है। वैसे भी कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव में आलंद सीट से भाजपा जीती थी, लेकिन 2023 में कांग्रेस प्रत्याशी विजयी हुए थे। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि किसे फायदा पहुंचाने के लिए नाम डिलीट कराए थे।

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी ‘हाइड्रोजन बम’ फोड़ने का दावा कर रहे थे, लेकिन उन्हें फुलझड़ी से काम चलाना पड़ा। कांग्रेस नेता झूठ बोलकर व जनता को गुमराह कर भारत में नेपाल और बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस 90 चुनाव हार चुकी है, इसलिए उनकी हताशा निराशा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आरोपों की राजनीति को उन्होंने अपना आभूषण बना लिया है। आरोप प्रमाणित करने के लिए कहने पर राहुल पीठ दिखाकर भाग जाते हैं। शपथ पत्र देने से मुकर जाते हैं। माफी मांगना और कोर्ट से फटकार खाना राहुल का काम हो गया है। उनके कीचड़ उछालो व भाग जाओ, हिट एंड रन के कई केस हैं। राहुल गांधी ने वोट चोरी के विरुद्ध अपने अभियान को लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बताते हुए उम्मीद जताई है कि देश के युवा, छात्र तथा जेन-जी वोट चोरी को रोकेंगे।

राहुल गांधी लोकतंत्र को बचाने के बहाने स्वयं को बचाने का आधार बनाते दिखाई दे रहे हैं। देश व दुनिया जानती है कि गांधी परिवार पर कई तरह के आरोप लगे हुए हैं और मामलों की छानबीन जारी है और गांधी परिवार के कई लोग जमानत ले घूम रहे हैं। राहुल गांधी भविष्य को देखते हुए जानबूझकर देश की संवैधानिक संस्थाओं पर निशाना बना रहे हैं। भविष्य में अगर उनको या गांधी परिवार के किसी सदस्य की जमानत न मिलने पर गिरफ्तारी हो जाती है तब राहुल गांधी उनके सहयोगी और कांग्रेस समर्थक सरकार पर यह आरोप लगाएंगे कि राहुल गांधी मोदी सरकार से टक्कर ले रहे थे, उसी कारण गिरफ्तारी की जा रही है। अपने भविष्य को लेकर चिंतित राहुल गांधी किसी भी हद को पार कर सकते हैं। उनकी मनोस्थिति को समझते हुए सरकार को उन द्वारा लगाए आरोपों को गंभीरता से लेते हुए सार्वजनिक स्तर पर उत्तर देने चाहिए ताकि जन साधारण किसी गलतफहमी या भ्रम में न रहे।

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