क्या मौसम बदलने से सच में हड्डियों में दर्द बढ़ जाता है? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: अक्सर लोग यह कहते सुने जाते हैं कि मौसम बदलते ही उनके जोड़ों और हड्डियों में दर्द बढ़ जाता है। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ लोगों का भ्रम है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी मौजूद है। डॉ. सना अहमद सय्यद बताती हैं कि उन्होंने अक्सर ऐसे मरीज देखे हैं जो मौसम बदलने पर दर्द की शिकायत लेकर आते हैं। जब मौसम बदलता है, तो तापमान और वायुदाब दोनों में उतार-चढ़ाव आता है, जिससे मांसपेशियों और टिशू पर असर पड़ता है। तापमान कम होने पर मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और खून का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे अकड़न और दर्द बढ़ सकता है।
किस मौसम में बढ़ती है यह समस्या?
सर्दियों और बरसात के मौसम में यह शिकायत ज्यादा होती है। बरसात के मौसम में नमी बढ़ने और वायुदाब कम होने से शरीर के टिशुओं में बदलाव होता है। यह बदलाव जोड़ों पर दबाव बढ़ा सकता है और पहले से मौजूद गठिया या चोट वाले जोड़ों में दर्द और सूजन को और अधिक बढ़ा सकता है। ठंडी और नम हवा भी जोड़ों को प्रभावित करती है, जिससे दर्द की तीव्रता बढ़ सकती है। जिन लोगों को पहले से गठिया, ऑर्थ्रोसिस, चोट या सर्जरी का इतिहास है, उनके जोड़ों पर इस तरह का असर अधिक देखने को मिलता है।
कौन लोग हैं ज़्यादा परेशान?
यह समस्या ज्यादातर बुजुर्गों और गठिया से पीड़ित मरीजों में अधिक होती है, लेकिन युवा लोग भी कभी-कभी हल्की अकड़न महसूस कर सकते हैं। मौसम बदलना सीधे बीमारी का कारण नहीं बनता, बल्कि यह एक “ट्रिगर” की तरह काम करता है। यदि जोड़ पहले से कमजोर या संवेदनशील हैं, तो मौसम का बदलाव दर्द और असुविधा को बढ़ा देता है।
बचाव के लिए क्या करें?
इस समस्या से बचाव के लिए शरीर को गर्म रखना और जोड़ों को ठंडी हवा से बचाना जरूरी है। नहाने के बाद हल्की मालिश और गर्म कपड़े पहनना जोड़ों के लिए फायदेमंद है। हल्की स्ट्रेचिंग, योग या पानी में किए जाने वाले व्यायाम जोड़ो की लचीलापन बनाए रखते हैं। संतुलित आहार जिसमें विटामिन D और कैल्शियम शामिल हो, भी महत्वपूर्ण है। साथ ही, वजन नियंत्रित रखने से जोड़ों पर दबाव कम होता है। यदि दर्द लगातार बढ़े, जोड़ों में सूजन आ जाए या चलने-फिरने में कठिनाई हो, तो तुरंत ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। सही जीवनशैली, सावधानी और डॉक्टर की सलाह से मौसम के बदलाव से होने वाले हड्डियों और जोड़ों के दर्द को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।