कितने प्रकार का होता है रक्त कैंसर, एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचाव के उपाय?

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: ब्लड कैंसर दुनिया की सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण बीमारियों में से एक है, फिर भी के बीच इसके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। डीकेएमएस फाउंडेशन इंडिया, एचओडी डोनर रिक्वेस्ट मैनेजमेंट, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एमडी, डॉ. नितिन अग्रवाल कहते हैं कि इसके कारण शरीर संक्रमण से लड़ने, ऑक्सीजन पहुँचाने और सामान्य स्वास्थ्य बनाए रखने में कमजोर हो जाता है।
ब्लड कैंसर कितने प्रकार का होता है?
ब्लड कैंसर मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है—ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा । ये तीनों अपनी प्रभाव और उपचार के लिहाज से अलग-अलग हैं।
ल्यूकेमिया: ल्यूकेमिया बोन मैरो में शुरू होता है, जहाँ असामान्य श्वेत रक्त कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बनने लगती हैं। ये कोशिकाएँ स्वस्थ कोशिकाओं को बाहर कर देती हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण और प्लेटलेट्स का स्तर प्रभावित होता है। इसके लक्षणों में लगातार थकान, बार-बार संक्रमण, बिना वजह खून बहना या चोट के निशान पड़ना और हड्डियों में दर्द शामिल हैं। ल्यूकेमिया के कई प्रकार हैं—जैसे एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, एक्यूट मायलॉयड ल्यूकेमिया और क्रॉनिक प्रकार जैसे CLL और CML। हर प्रकार के लिए अलग उपचार पद्धति अपनाई जाती है।
लिम्फोमा: लिम्फोमा लसीका तंत्र में होता है, जो शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करता है। इसमें लिम्फोसाइटों नामक श्वेत रक्त कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ती हैं और लिम्फ नोड्स या अन्य ऊतकों में ट्यूमर बना लेती हैं। इसके दो मुख्य प्रकार हैं। हॉजकिंस लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिंस लिम्फोमा। सामान्य लक्षणों में दर्द रहित लिम्फ नोड्स की सूजन, बुखार, रात को पसीना आना और अचानक वजन घटना शामिल हैं।
मायलोमा: मायलोमा कोशिकाओं प्लाज़्मा सेल्स को प्रभावित करता है। ये विशेष श्वेत रक्त कोशिकाएँ होती हैं जो एंटीबॉडी बनाती हैं। जब ये कैंसरग्रस्त हो जाती हैं तो बोन मैरो में जमा होकर हड्डियों को कमजोर कर देती हैं, किडनी की समस्या, एनीमिया और बार-बार संक्रमण का कारण बनती हैं। इसके मरीज अक्सर हड्डियों में दर्द, फ्रैक्चर या लगातार थकान की शिकायत करते हैं। हालांकि मायलोमा का पूर्ण इलाज संभव नहीं है, लेकिन ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, नई दवाओं और इम्यूनोथैरेपी के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है और रोगी की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
क्या है आगे का रास्ता?
ब्लड कैंसर से लड़ाई में शुरुआती पहचान बेहद अहम है। नियमित स्वास्थ्य जांच, लगातार बने रहने वाले लक्षणों पर ध्यान देना और समय पर विशेषज्ञ से परामर्श करना जीवन बचा सकता है। इसके साथ ही, ब्लड स्टेम सेल डोनेशन भी उतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई मरीजों को जीवित रहने के लिए मैचिंग डोनर की आवश्यकता होती है। ब्लड कैंसर भले ही गंभीर और डराने वाला हो, लेकिन इसके प्रकारों को समझकर, समाज में जागरूकता बढ़ाकर और ब्लड स्टेम सेल डोनेशन को मजबूत बनाकर हम इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए नई उम्मीद और बेहतर भविष्य तैयार कर सकते हैं।