सिख प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से की गुरु गोबिंद सिंह की पादुकाएं ‘जोरें साहिब’ के संरक्षण की मांग

नई दिल्ली { गहरी खोज }: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व में सिख संगत के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर दसवें सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह और उनकी धर्मपत्नी माता साहिब कौर जी की पवित्र पादुकाएं ‘जोरें साहिब’ के संरक्षण और उनके उपयुक्त सार्वजनिक प्रदर्शन को लेकर अपनी सिफारिशें सौंपीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिनिधिमंडल की पहल की सराहना करते हुए एक्स पोस्ट में कहा कि सिख प्रतिनिधिमंडल के प्रतिष्ठित और कुशल सदस्यों का स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हुई, जिन्होंने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के अत्यंत पवित्र और अमूल्य पवित्र ‘जोरे साहिब’ की सुरक्षा और उचित प्रदर्शन के संबंध में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं। ‘जोरे साहिब’ जैसे महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से पवित्र अवशेष, हमारे राष्ट्र के सांस्कृतिक लोकाचार के साथ-साथ गौरवशाली सिख इतिहास का भी उतना ही हिस्सा हैं। ये पवित्र अवशेष आने वाली पीढ़ियों को गुरु गोबिंद सिंह द्वारा दिखाए गए साहस, धार्मिकता, न्याय और सामाजिक सद्भाव के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।
पुरी ने एक्स पर जानकारी दी कि पवित्र ‘जोरें साहिब’ में गुरु गोबिंद सिंह के दाहिने पैर की पादुका (11 इंच x 3.5 इंच) और माता साहिब कौर जी के बाएं पैर की पादुका (9 इंच x 3 इंच) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार को इन अवशेषों की सेवा का सौभाग्य तीन सौ वर्ष पूर्व स्वयं गुरु साहिब और माता जी से मिला था। उनके पूर्वज गुरु महाराज की प्रत्यक्ष सेवा में थे और उनकी निष्ठा से प्रसन्न होकर गुरु साहिब ने इन्हें परिवार में संजोकर रखने की अनुमति दी। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
पुरी ने बताया कि हाल ही में उनके चचेरे भाई सरदार जसमी्त सिंह पुरी, जो इन पवित्र अवशेषों के अंतिम संरक्षक थे, का निधन हो गया। इसके बाद परिवार ने निर्णय लिया कि इन अमूल्य अवशेषों को अधिकाधिक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए किसी उपयुक्त स्थान पर सुरक्षित रखा जाए।
मंत्री ने कहा कि इस निर्णय के बाद संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से इन अवशेषों की बारीकी से जांच कराई गई। कार्बन परीक्षण द्वारा भी इनकी प्राचीनता और प्रामाणिकता की पुष्टि हुई है। इसके बाद विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई, जिसने ‘जोरें साहिब’ के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए विस्तृत सिफारिशें तैयार कीं और प्रधानमंत्री को सौंपीं।
हरदीप पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा सिख परंपरा और गुरु साहिबानों की शिक्षाओं के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सिख समुदाय से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए, जिनसे न केवल धार्मिक स्थलों का विकास हुआ, बल्कि श्रद्धालुओं की सुविधा और पहुंच भी बेहतर हुई।
इस अवसर पर प्रसिद्ध सूफी गायिका हरशदीप कौर भी मौजूद थीं। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब के मूल मंत्र का मधुर गायन किया। बाद में उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे ‘इक ओंकार’ गाने का अनुरोध किया, जो उनके लिए जीवन का अत्यंत भावुक और प्रेरणादायी क्षण रहा। उन्होंने कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनना उनके लिए अविस्मरणीय रहेगा।