बीएचयू के व्यावहारिक कला विभाग के शोध छात्र श्रीलंका में शोध प्रस्तुत करेंगे

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वाराणसी { गहरी खोज }: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दृश्य कला संकाय के व्यावहारिक कला विभाग के शोध छात्रों के साथ प्राध्यापक भी शुक्रवार को अपरान्ह में श्रीलंका कोलम्बो में आयोजित पाँचवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शोध प्रस्तुत करेंगे। शुक्रवार व शनिवार (19—20 सितम्बर) को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर छात्र शोध पढ़ेंगे। इस सम्मेलन का विषय है अतीत और भविष्य को जोड़ना – बदलती दुनिया में अमूर्त विरासत की भूमिका। यह जानकारी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क कार्यालय ने दी।
शुक्रवार को बताया गया कि व्यावहारिक कला विभाग के हिमेश बाबूलाल (अंतर्राष्ट्रीय शोध छात्र) – पारिस्थितिकी-विरासत: मॉरीशस और भारत की पारंपरिक शिल्पकला में सतत अभ्यास,सृष्टि प्रजापति (सहायक आचार्य) – वाराणसी के हस्तनिर्मित लकड़ी के खिलौने: मौखिक संस्कृति से जुड़ा एक दृश्य आख्यान,शिवांगी गुप्ता (शोध छात्र) – बोतल में परंपराएँ: आधुनिक युग में कन्नौज इत्र का कलात्मक संरक्षण और सतत डिज़ाइन,शिवम मौर्य (शोध छात्र) – ढेंकनाल ढोकरा, ओडिशा में भारतीय मौखिक परंपराओं और लोककथाओं के सौंदर्यशास्त्र का प्रकटीकरण,उमेश कुमार (शोध छात्र) – खेतों में कला, ग्राम कला परियोजना के माध्यम से समकालीन अभ्यास की पुनर्कल्पना,सौरभ सिंह (शोध छात्र) – भारत में सतत कला अभ्यासों की भूमिका: सांस्कृतिक संरक्षण के संदर्भ में विरासत विषयक शोध सम्मेलन में प्रस्तुत करेंगे। प्रो. मनीष अरोड़ा, हिमेश बाबूलाल, मोनाली सिंह, शिवांगी गुप्ता, उमेश कुमार और सौरभ सिंह इस सम्मेलन में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित रहेंगे। विभाग की यह उपलब्धि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और सतत कला प्रथाओं पर शोध में बीएचयू की मजबूत शैक्षणिक उपस्थिति और नेतृत्व को दर्शाती है।

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