प्रभावित परिवारों के हमदर्द बनें

संपादकीय { गहरी खोज }: पंजाब में आई बाढ़ के बाद उत्पन्न हुई स्थितियों का सामना करना समाज व सरकार दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस बाढ़ ने तीन लाख से अधिक लोगों को एक तरह से सडक़ पर खड़ा कर देने वाली स्थिति में ला दिया है। 4 लाख एकड़ से अधिक कृषि योग्य भूमि प्रभावित हो चुकी है। खेतों की निशानदेई समाप्त हो चुकी है। भारत-पाक सीमा रेखा जिसे रेडक्लिफ लाईन के नाम से जाना जाता है वह समाप्त हो चुकी है। सीमा पर बनी 12 फीट ऊंची कंटीली तार की फैंसिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
पाकिस्तान के साथ कोई 500 कि.मीटर से अधिक लगती सीमा रेखा पर फैंसिंग का टूटना और अपने आप में खतरे की निशानी है क्योंकि इस स्थिति का लाभ लेते हुए पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ करा सकता है। नशा तस्कर और अधिक सक्रिय हो सकते हैं, अवैध हथियारों की सप्लाई बढ़ सकती है।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कह सकते हैं कि पंजाब में आई बाढ़ केवल पंजाब को ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा को भी प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इसलिए केंद्र सरकार को बाढ़ को केवल पंजाब से जोडऩे की बजाये राष्ट्र स्तर पर इसके कारण होने वाले प्रभावों को देखते हुए तत्काल आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है।
पंजाब सरकार अपने स्तर पर जो कर रही है वह पंजाब के मंत्रियों द्वारा दिए बयानों से समझा जा सकता है। पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां अनुसार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों और नुकसान के मूल्यांकन को सुचारू बनाने के लिए राज्य सरकार ने नोडल चेयरमैन और मैंबर नियुक्त किए हैं। सरकार द्वारा 2303 ऐसे गांवों की पहचान की गई है, जहां बुनियादी सहायता और पुनर्वास के लिए तुरंत उपाय करना आवश्यक है। इसके लिए नियुक्त नोडल प्रतिनिधि जिला प्रशासन और नियुक्त गजेटेड अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे। ये प्रतिनिधि राहत सामग्री के वितरण की निगरानी करेंगे, फसलों, मकानों और पशुधन को हुए नुकसान के मूल्यांकन में सहायता करेंगे और बाढ़ पीडि़तों के क्लेम समयबद्ध तरीके से फैसिलिटेट करेंगे ताकि प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा और सहायता बिना किसी देरी के प्रदान की जा सके। पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि किसानों के लिए निर्बाध एवं परेशानी रहित फसल बिक्री सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित सभी अनाज मंडियों को चालू करने हेतु विशेष 5 दिवसीय अभियान आरंभ किया गया है। इसका उद्देश्य खड़े पानी और गाद को साफ कर सभी मंडियों को आगामी खरीद सीजन के लिए पूरी तरह से कार्यशील बनाना है। खुड्डियां ने कहा कि यह अभियान विशेष रूप से उन जिलों पर केंद्रित है, जहां मंडियां खड़े पानी और जमा गाद से प्रभावित हैं। पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ से उत्पन्न बीमारियों के मुकाबले के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों को सक्रिय करने के आदेश दिए हैं। मंत्री ने राज्य के सरकारी डॉक्टरों, निजी स्वयंसेवकों, आयुर्वेदिक डॉक्टरों और एम.बी.बी.एस. इंटन्र्स को शामिल करते हुए 2303 बाढ़ प्रभावित गांवों में एक विशेष स्वास्थ्य अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है। इस अभियान का उद्देश्य वेक्टर बोर्न, पानी से उत्पन्न और संक्रामक बीमारियों के फैलाव को रोकना है। अभियान को 3 मुख्य हिस्सों में बांटा गया है। पहला, स्वास्थ्य एवं मैडीकल कैंप, जिसमें 596 गांवों में नियमित रूप से क्लीनिकों पर और बाकी 1707 गांवों में स्कूल या सामुदायिक केंद्रों पर 3 दिन से अधिक समय तक कैंप लगाए जाएंगे। दूसरा, आशा वर्कर्स द्वारा घर-घर जिसमें 11,103 से अधिक आशा वर्कर्स मच्छर भगाने वाली दवाइयां, ओ.आर.एस., पैरासिटामोल, क्लोरीन गोलियां, साबुन और आवश्यक वस्तुओं से युक्त सेहत किट वितरित करेंगे। तीसरा, 21 दिनों तक वेक्टर-कंट्रोल अभियान के तहत फ्यूमीगेशन, फॉगिंग, लार्विसाइडल स्प्रे जैसी गतिविधियां नियमित रूप से की जाएंगी।
मुख्यमंत्री मान के नेतृत्व में राहत कार्य शुरू तो हुआ है लेकिन नुकसान इतना अधिक हो चुका है, लेकिन बाढ़ थमने के बाद उत्पन्न हुई कठिनाइयों को देखते हुए राहत कार्यों में तेजी के साथ-साथ समाज और सरकार का आपसी तालमेल होना बहुत आवश्यक है। राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों व राजनीतिक दलों को राहत कार्य में सरकार का साथ देना चाहिए। समय की मांग है कि हम आपसी मतभेद भूलकर व एकजुट होकर प्रभावित परिवारों के हमदर्द बनें।