अल्पसंख्यकों के कल्याण, मुख्यधारा में उनकी मजबूत भूमिका के लिए मोदी के दौर में हुईं कई अभिनव पहलें

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PURI, Sep 16 (UNI):- Sand artist Sudarsan Pattnaik has created a sand sculpture of Prime Minister Narendra Modi with installation of 750 lotus flowers at Puri beach in Odisha on the occasion of 75th birthday of Narendra Modi on Tuesday. UNI Photo-131U

नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मुस्तिल महिलाओं और गरीबों के हित में तीन तलाक रोधी कानून और वक्फ संशोधन अधिनियम में संशोधन, सिख गुरुओं की वाणी की लिपि गुरुमुखी के अध्ययन केंद्र के लिए मदद तथा बौद्ध, जैन और पासरी धर्म के अल्पसंख्यों के सांस्कृतिक एवं सामाजिक हितों के संवर्धन-संरक्षण के लिए पिछले ग्यारह वर्षों में अभिनव कदम उठाये हैं।
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इन पहलों से अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अनुसूचित मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समाज के समावेशी विकास, शैक्षिक, आर्थिक सशक्तिकरण तथा सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में सुधार स्पष्ट दिखते है। रिपोर्टों के अनुसार इन ग्यारह वर्षों में अल्पसंख्यों की योजनाओं पर बजट में भी काफी वृद्धि हुई है तथा लाखों की संख्या में लोगों के जीवन में बदलाव आया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफ़सी) की ओर से 10 मार्च 2025 तक 1,74,148 से अधिक लाभार्थियों को 752.23 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई जबकि 2014-15 में, 431.20 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
मोदी सरकार की ओर से मुस्लिम समाज, खास कर इस समाज के गरीब और बेसहारा लोगों के हितों की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कदम के तहत वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 पारित कराया गया । इसका मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है। इसके साथ ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को डिजिटलाइज्ड कर इसमें सुधार लाने के लिए ‘उम्मीद’ नाम से पोर्टल शुरू किया गया है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वक्फ संपत्तियों को रियल टाइम पर अपलोड करने, सत्यापन करने और निगरानी करने के लिए केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म – ‘उम्मीद’ को पिछले 6 जून को प्रस्तुत किया।
मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की प्रथा से होने वाली मुश्किलों से मुक्ति दिलाने की दिशा में एक अगस्त 2019 का दिन इतिहास में “मुस्लिम महिला अधिकार दिवस” के रूप में दर्ज हो चुका है। वर्ष 1986 में शाहबानो केस में उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया था और उसके आधार पर तत्कालीन सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के संरक्षण के लिए इस तरह का कानून बता सकती थी। उस समय लोकसभा में अकेले कांग्रेस सदस्यों की संख्या 545 में से 400 से अधिक और राज्यसभा में 245 में से 159 सीटें थी, लेकिन कांग्रेस की राजीव गाँधी सरकार ने पांच मई 1986 को संसद में भीषण संख्या बल का इस्तेमाल कर न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी बना दिया था।
अल्पसंख्यकों के लिए मोदी सरकार ने रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़ी कई योजनाएं शुरू की है। प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) यह मंत्रालय की एक अहम योजना है, जिसमें पाँच पूर्ववर्ती योजनाओं सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रोशनी, हमारी धरोहर और उस्ताद को एकीकृत किया गया है। इसका उद्येश्य केंद्रीय योजना बच्चों और युवाओं में कौशल विकास के साथ-साथ अल्पसंख्यक महिलाओं की उद्यमिता और नेतृत्व के अलावा स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षा जारी रखने में मदद करना है।
अल्पसंख्यक युवाओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में मदद की व्यवस्था में बदलाव करते हुए मोदी सरकार ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप (एमएएनएफ) शुरू की। इसके तहत अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों को देश में उच्चस्तरीय शिक्षा में एमफिल और पीएचडी जैसी डिग्री हासिल करने में मदद मिलती है। इससे पहले पढ़ो परदेश योजना विदेश में मास्टर्स डिग्री, एम.फिल या पीएचडी की डिग्री हासिल करने के लिए अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को शिक्षा ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाती थी जिसे समीक्षा के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 2022-23 से बंद कर दिया ।
इसके अलावा बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना के जरिए कक्षा नौ से 12वीं तक पढ़ने वाली अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई। यह योजना उन छात्रों के लिए है जिनके माता-पिता या अभिभावकों की सालाना आय दो लाख रुपये से अधिक नहीं है। इसके अलावा नया सवेरा (निःशुल्क कोचिंग एवं संबद्ध योजना) यह योजना 2007 में शुरू की गई जिसमें सभी अल्पसंख्यकों को स्पेशल कोचिंग के जरिए तकनीकी या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलाने में मदद करना है। इसका लाभ उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और रेलवे सहित केंद्र तथा राज्य सरकारों के तहत समूह ए, बी, और सी सेवाओं और अन्य समकक्ष पदों पर भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने में भी मिलता है।
मोदी सरकार ने सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) लागू किया है। देश के 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 308 जिलों के 1300 क्षेत्रों को पीएमजेवीके के तहत लाया गया है जिनमें अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 870 ब्लॉक (एमसीबी) और अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 321 शहर (एमसीटी) और अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 109 जिला मुख्यालय शामिल हैं।
सरकार ने हज पर जाने वालों की सुविधाओं को बढ़ाने के उपाय भी किये हैं। हज समिति अधिनियम, 2002 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रशासन सहित हज तीर्थयात्रा के काम को एक अक्टूबर, 2016 से विदेश मंत्रालय से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया। वर्ष 2014-15 में जहां इस मद पर 47.37 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे वह 2023-24 में बढ़ कर 83.51 करोड़ रुपये हो गया। तीर्थयात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हज सुविधा ऐप लॉन्च किया गया है। अप्रैल में, 620 हज 2025 प्रतिनियुक्तियों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया, साथ ही हज यात्रियों के लिए फिटनेस के महत्व के बारे में बताने के लिए हज वॉकथॉन शुरू किया गया।
सरकार बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बौद्ध विकास योजना (बीडीपी), कौमी वक्फ बोर्ड तरक्की योजना, शहरी वक्फ संपत्ति विकास योजना और पारसी समुदाय के लिए जियो पारसी योजनाएं चला रही है। लोक संवर्धन पर्व के जरिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय देशभर के अल्पसंख्यक कारीगरों को एक साथ लाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
मंत्रालय ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) के सहयोग से सिख भाषायी और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के खालसा कॉलेज में गुरुमुखी लिपि के केंद्र बनाने के लिए 25 करोड़ की सैद्धांतिक मंजूर किये हैं। पारसी विरासत को संरक्षित करने के लिए मुंबई यूनिवर्सिटी के साथ 11.17 करोड़ रुपये की अवेस्ता पहलवी परियोजना और केंद्रीय हिमालयी संस्कृति अध्ययन संस्थान (सीआईएचसीएस) के साथ 40 करोड़ रुपये के अवसंरचना विकास के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। मंत्रालय ने जैन धर्म के विकास को लेकर दो परियोजनाओं – डीएवीवी, इंदौर में जैन अध्ययन केंद्र और गुजरात यूनिवर्सिटी में जैन पांडुलिपि विज्ञान केंद्र – को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इनका कुल अनुमानित लागत 65 करोड़ रुपये है।

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