सशस्त्र बल युद्ध के पारंपरिक और अपरंपरागत खतरों से मुकाबले को रहें तैयार : राजनाथ

- रक्षा मंत्री ने कहा, उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं का एकजुट होना जरूरी
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कोलकाता में संयुक्त कमांडर सम्मेलन के दूसरे दिन मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के रक्षा और सुरक्षा रोडमैप पर विचार-विमर्श किया, जिसमें प्रमुख रणनीतिक फोकस क्षेत्रों और भारतीय सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया। सम्मेलन में रक्षा निर्माण, खरीद और रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक के समावेश में आवश्यक सुधारों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। रक्षा मंत्री ने कहा कि उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं का एकजुट होना आवश्यक है, इसलिए सशस्त्र बल युद्ध के पारंपरिक और अपरंपरागत खतरों से निपटने के लिए तैयार रहें।
संयुक्त कमांडर सम्मेलन में वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व ने विशेष अभियान, अंतरिक्ष, सूचना युद्ध और साइबर डोमेन सहित सशस्त्र बलों के लिए भविष्य के रोडमैप पर भी विचार-विमर्श किया। रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम देने में भारतीय सशस्त्र बलों के साहस, समर्पण और व्यावसायिकता को सराहा। रक्षा मंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत भी जारी किया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक लाभ के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में तीनों सेनाओं के बीच भारत के तालमेल को मज़बूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। रक्षा मंत्री ने सैनिकों के साथ समावेशी चर्चा भी की, जिन्होंने विभिन्न अभियानों में अपने बहुमूल्य अनुभव साझा किए और उनके साथ विभिन्न व्यावसायिक पहलुओं पर खुलकर चर्चा की।
संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने अशांत वैश्विक व्यवस्था, क्षेत्रीय अस्थिरता और उभरते सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर दुनिया भर में हो रहे बदलावों और देश की सुरक्षा व्यवस्था पर उनके प्रभाव के निरंतर आकलन की आवश्यकता पर बल दिया। राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़कर सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक युद्ध जैसे अपरंपरागत खतरों से उत्पन्न अदृश्य चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित होते हैं कि उनकी अवधि का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। यह दो महीने, एक साल या पांच साल भी हो सकता है। हमें तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी युद्ध क्षमता पर्याप्त बनी रहे।
रक्षा मंत्री ने कमांडरों से सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने और प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्पना के अनुरूप सुदर्शन चक्र के निर्माण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इस परिकल्पना को साकार करने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए मध्यम अवधि और अगले दस वर्षों के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने भविष्य के लिए तैयार प्रौद्योगिकियों के विकास में उद्योग और शिक्षा जगत के साथ गहन जुड़ाव की वकालत की। उन्होंने एक मजबूत रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और घरेलू उद्योग को दुनिया में सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ बनाने में निजी क्षेत्र की भूमिका को और बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण की पुष्टि की।
बैठक के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, पूर्व सैनिक कल्याण के सचिव डॉ. नितेन चंद्रा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) डॉ. मयंक शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।